Home International पुतिन की राष्ट्रपति चुनाव में बंपर जीत के बाद ये हैं सबसे बड़ी चुनौतियां, पांच पॉइंट में समझें पूरी बात

पुतिन की राष्ट्रपति चुनाव में बंपर जीत के बाद ये हैं सबसे बड़ी चुनौतियां, पांच पॉइंट में समझें पूरी बात

by Rashmi Rani
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Russian Presidential Election

Russian Presidential Election: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति पुतिन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

18 March 2024

Russia War: रूस में एकतरफा चुनाव के शुरुआती रूझानों में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 88 फीसदी मत मिले हैं, वह पिछले 25 सालों से रूस की सत्ता पर काबिज हैं. बोरिस येल्तसीन ने बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते 1999 में रूस की सत्ता की बागडोर व्लादिमीर पुतिन को सौंप दी थी. इसके बाद से वह कोई भी चुनाव नहीं हारे.

राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन का लोगों ने किया विरोध

राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन के विरोधियों ने पोलिंग बूथ पर जाकर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. वहीं, अमेरिका ने कहा कि रूस में चुनाव न तो कभी स्वतंत्र होती है और न निष्पक्ष होता है. व्लादिमीर पुतिन ने इस चुनाव को जीतते ही देश के सबसे सर्वोच्च पद 6 सालों के लिए रिजर्व कर लिया है. अब वह सत्ता में काबिज रहने के मामले में जोसेफ स्टालिन से भी आगे निकल गए हैं. रूस के 200 साल के इतिहास में पुतिन सबसे लंबे तक राष्ट्रध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है. वहीं, राष्ट्रपति पुतिन भले ही चुनाव में जीत गए हों लेकिन अभी उनके सामने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौतियां हैx

पांच पॉइंट में समझें रूस की समस्याएं

1) मुद्रास्फीति का जोखिम लगातार बढ़ रहा है और केंद्रीय बैंक से स्थिति को नियंत्रण में रखने के ऑर्डर दिए गए हैं. पुतिन के लिए यह चिंता का विषय है कि कीमतें बढ़ने से जीवन स्तर में गिरावट आएगी क्योंकि वह अगले मार्च में क्रेमलिन में और छह वर्षों के लिए फिर से चुने जाने के लिए अपेक्षित तैयारी करने जा रहे हैं. पुतिन द्वारा यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ के कारण रूस का बजट दबाव में है और रूबल में गिरावट को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक को पिछले सप्ताह ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

2) रूस और यूक्रेन जारी युद्ध के बीच अमेरिका ने फरवरी नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, रूस को लेकर अमेरिका ने जिन क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए उसमें मुख्य रूप से भुगतान सिस्टम (Payment System) वित्तीय संस्थान (Financial Institutions) और ऊर्जा उत्पादन (Energy Production) जैसे 500 क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए हैं, इसको कारण रूस की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है.

3) रूस में राष्ट्रपति व्वादिमीर पुतिन के धुर-विरोधी एलेक्सी नवलीन की जेल में संदिग्ध मौत के बाद उनकी दुनियाभर में कड़ी आलोचना हुई थी, इसको लेकर पुतिन कई दफा असहज भी हुए हैं. एलेक्सी की मौत पर रूस में चुनाव को लेकर भी कई तरह के सवाल उठे हैं कि पुतिन अपने विरोधियों को चुप करवाने के लिए उन्हें जेल में भी डलवा देते हैं.

4) रूस और यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र कई दफा राष्ट्रपति पुतिन को कह चुका है कि वह तत्काल प्रभाव से इस युद्ध को रोके.

5) सेपरेरिस्ट संगठन हर बाद देश के अंदर नस्ल, धर्म और आर्थिक आधार पर अलग देश की मांग करते रहे हैं, युद्ध से रूस में मुद्रास्फीति से लेकर महंगाई तक बढ़ रही है. इसको देखते हुए कहा जा रहा है कि रूस में से एक बार नए देश न बन जाएं.

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