Home National भूकंप के झटकों से हिली कश्मीर की धरती, दहशत में घरों से बाहर भागे लोग, क्या था भूकंप का केंद्र ?

भूकंप के झटकों से हिली कश्मीर की धरती, दहशत में घरों से बाहर भागे लोग, क्या था भूकंप का केंद्र ?

by Rishi
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Earthquake

Earthquake: भूकंप की तीव्रता क्योंकि खतरे वाली श्रेणी में नहीं थी लिहाजा जान माल के किसी भी नुकसान की कोई भी खबर नहीं है. भूकंप के झटके आज दोपहर 12:17 पर महसूस किए गए हैं.

Earthquake: शनिवार को अफगानिस्तान में जब लोग दिन में अपने कामकाजी दिन की शुरूआत कर रहे थे तब करीब 12 बजे तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस 5.9 की तीव्रता वाले भूकंप का असर भारत में भी देखने को मिला है. कश्मीर की धरती भी इस भूकंप के झटकों से कांपी है. जिसके बाद लोग डर की वजह से घरों से बाहर निकल आए. अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान बॉर्डर पर था. भू वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी गहराई धरती के नीचे करीब 86 किलोमीटर पर थी.

कहां-कहां देखा गया भूकंप का असर ?

भूकंप की तीव्रता क्योंकि खतरे वाली श्रेणी में नहीं थी लिहाजा जान माल के किसी भी नुकसान की कोई भी खबर नहीं है. बात करें भूकंप के समय की तो आज दोपहर 12:17 पर ये झटके महसूस किए गए हैं. लोगों को जैसे ही अपनी छतों पर लगे पंखे हिलते दिखे लोग घरों से बाहर दौड़ पड़े. लोगों को तीव्रता का अंदाजा नहीं था जिसके चलते भय से सभी मैदानों की तरफ भागने लगे. अफगानिस्तान पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर की धरती पर इस भूकंप का असर देखा गया है.

12 अप्रैल को भी आया था भूकंप

गौर करने वाली बात है कि इससे पहले भी इस क्षेत्र में कई बड़े भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जम्मू कश्मीर भूकंपीय खतरे की श्रेणी वाले क्षेत्र में आता है. 12 अप्रैल को भी कश्मीर में भूकंप के झटकों को महसूस किया गया था जिसका केंद्र पाकिस्तान था. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई थी, जो जमीन से 10 किमी की गहराई पर आया था.

कश्मीर पर क्यों मंडराता है भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा

जम्मू-कश्मीर भारत के सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि यह भूकंपीय जोन-5 में आता है जो देश का सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र माना जाता है. इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाती है, क्योंकि यह हिमालय पर्वत श्रृंखला के निकट है, जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं. इन प्लेटों की गतिशीलता के कारण पृथ्वी की सतह पर तनाव उत्पन्न होता है, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आते हैं. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अक्सर छोटे-मध्यम तीव्रता के भूकंप दर्ज किए जाते हैं, जिससे यह क्षेत्र लगातार जोखिम में रहता है.

भविष्य में आ सकते है और भी बड़े भूकंप

गौर करने वाली बात है कि हाल ही के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में भूकंप की घटनाएं अक्सर सामने आती रही हैं, ऐसी ही एक भूकंप अप्रैल 2025 में किश्तवाड़ जिले में आया था जिसकी 2.4 तीव्रता थी. इसके बाद डोडा में भी 5.4 तीव्रता का भूकंप आया था. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र की मिट्टी और चट्टानों की संरचना, साथ ही हिमालय की भौगोलिक गतिविधियां, भूकंप की संभावना को और बढ़ाती हैं. हालांकि, इन भूकंपों से आमतौर पर बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं होता, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि भविष्य में उच्च तीव्रता वाले भूकंप का खतरा बना हुआ है. इसलिए, भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण और आपदा प्रबंधन की तैयारी को लेकर जम्मू-कश्मीर में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

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