Introduction
Who are The Houthi Rebels : यमन की राजधानी सना में ईरानी समर्थक हूती विद्रोहियों ने रेड सी (लाल सागर) में अमेरिका और इजराइल के व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है. इसके बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर आ गए हैं. नवंबर 2023 के महीने में हूतियों ने एक मालवाहक जहाज पर कब्जा कर लिया था और इसका संबंध इजराइल से था. इसके बाद हूती विद्रोहियों ने रॉकेट और ड्रोन से कई व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाकर हमला किया और अपने कब्जे में लेने का काम किया. हमास पर 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल की जवाबी कार्रवाई से नाराज हूतियों ने भी कई रॉकेट और मिसाइल छोड़ने का काम किया है. इसी बीच अमेरिका का कहना था कि लाल सागर में उसके मौजूद युद्धपोतों ने कुछ मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया था. इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी सक्रिय दिख रहे हैं और ट्रेड वार से लेकर जमीनी लड़ाई लड़ने के लिए एक्शन में दिख रहे हैं. इसी कड़ी में अमेरिकी सेना ने यमन की राजधानी सना में जमकर हवाई फायरिंग की है और इस दौरान हूती विद्रोहियों को काफी नुकसान पहुंचाया है. बता दें कि हम इस आर्टिकल में आपको हूती विद्रोहियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कुछ ही समय में इतने ताकतवर हो गए कि उन्होंने यमन की राजधानी पर कब्जा कर लिया.
Table Of Content
- हमास का समर्थन करने के लिए किया हमला
- कौन हैं हूती विद्रोहियों?
- यमन के बड़े इलाके पर कैसे किया कब्जा
- यमन के कितने हिस्से पर है हूतियों का कब्जा?
- हूती संगठन में शिया का दबदबा
हमास का समर्थन करने के लिए किया हमला
अमेरिका और इजराइल को स्पष्ट संदेश देते हुए हूती विद्रोहियों ने कहा कि वह हमास के समर्थन में लाल सागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर हमला कर रहा है. खासकर उन जहाजों को जो इजराइल की तरफ जा रहे हैं या फिर कब्जे वाला फिलिस्तीन इलाके की तरफ मुड़ रहे हैं. इस पर उस दौरान इसराइल का कहना है कि हूतियों ने जिन जहाजों पर कब्जा किया है वह न तो इजराइल का है और न ही उसमें मौजूद पायलट इजराइली था. लेकिन कई रिपोर्ट में दावा किया गया कि इसका पायलट एक इजराइली था. इसके बाद दुनिया की सबसे बड़ी मालवाहक कंपनी मेडिटेरेनियन शिपिंग ने कहा था कि वह लाल सागर से अपने सभी जहाजों हटाने वाला है. इसी कड़ी में जर्मन कंपनी हैपेग-लॉयड, डेनमार्क की कंपनी मेर्स्क और तेल कंपनी बीपी ने भी ऐसा ही फैसला लिया कि वह भी लाल सागर से अपना जहाज लेकर नहीं जाएंगे. इसी बीच अमेरिका ने आरोप लगाया कि यह हमले भले ही यमन की धरती से हूती विद्रोहियों ने किए हों लेकिन यह हमले पूरी तरह से ईरान के निर्देश पर किए गए हैं.

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कौन हैं हूती विद्रोहियों?
बुनियादी तौर पर हूती विद्रोही यमन के अल्पसंख्यक शिया जैदी समुदाय का हथियारबंद समूह है. इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के खिलाफ कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मामले में लड़ने के लिए गठित किया गया था. इस संगठन का नाम उस वक्त के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा था. हुसैन उस दौरान अपने आपको ‘अंसार अल्लाह’ यानी ईश्वर के साथी भी संबोधित कहकर भी पहचानते थे. जब 2003 में अमेरिका ने इराक पर बमबारी की थी उस वक्त हूतियों ने ईश्वर महान है. अमेरिका और इजराइल का खात्मा हो. यहूदियों का पूरी तरह से खात्मा हो जाए और इस्लाम की जीत हो. हूती विद्रोही के संस्थापक हुसैन अल हूती ने कहा था कि हम हिजबुल्लाह और हमास के साथ मिलकर अमेरिका, इजराइल और पश्चिम देशों के खिलाफ ईरान के नेतृत्व वाली धुरी का हिस्सा बताया. ईरान समर्थित विद्रोहियों के बारे में कहा जाता है कि दरअसल वे औपनिवेशिक शासन और इस्लामिक ताकतों के खिलाफ लड़ रहे हैं. साथ ही उनके साथ मेल खाता भी है.

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यमन के बड़े इलाके पर कैसे किया कब्जा
हूतियों ने राजनीति में साल 2014 में कदम रखा और इस दौरान उन्होंने आम लोगों से संपर्क साधा जिसके बाद काफी मजबूत होते चले गए. इसके बाद राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के उत्तराधिकारी बने अब्दरब्बुह मंसूर हादी के खिलाफ भी उठ खड़े हुए. इसी बीच हूतियों ने यमन के उत्तर में सादा प्रांत में कब्जा करने में कामयाब हुए और उस दौरान राष्ट्रपति हादी यमन छोड़कर विदेश में भाग गए. इसी बीच पड़ोसी देश सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों को सत्ता से हटाकर एक फिर हादी को गद्दी पर बैठाने की काफी कोशिश कर दिया. इस दौरान सऊदी को यूएई और बहरीन का भी साथ मिला. हूती विद्रोहियों ने अपने पड़ोसी देशों का डटकर सामना किया और यमन के बड़े हिस्से पर कब्जा जमान में कामयाब हुए. इसके बाद साल 2017 में हूतियों ने अली अब्दुल्लाह सालेह की हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने पाला बदलकर सऊदी अरब की तरफ जाने की कोशिश की थी.
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यमन के कितने हिस्से पर है हूतियों का कब्जा?
अब्दरब्बुह मंसूर हादी ने प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल को सौंपी थी और यह काउंसिल सऊदी अरब के लिए काफी ईमानदार मानी जाती है. साथ ही यमन की ऑफिशियल का सरकार का दर्जा भी इसी काउंसिल को प्राप्त है. दरअसल, यमन के एक बड़े भूभाग पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है और वह उत्तरी प्रांत में टैक्स वसलूने का काम करता है, साथ ही वहां की मुद्रा भी छापने का काम करता है. इसके अलावा साल 2010 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यमन के विशेषज्ञ अहमद अल-बाहरी के हवाले कहा था कि यमन में विद्रोहियों के 1 लाख से लेकर 1 लाख 20 हजार तक समर्थक थे. इनमें हथियारबंद और गैर-हथियार वाले दोनों समर्थक मौजूद थे. साथ ही विद्रोहियों ने साल 2015 में भारी संख्या में बच्चों को भी शामिल किया था और इसमें से करीब 2020 में 1500 बच्चों की भी मौत हो गई थी. इसी कड़ी में हूती लाल सागर पर भी कब्जा करने का दावा करते हैं और यही से वह इजराइली जहाजों को अपना निशाना बनाते हैं.

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हूती संगठन में शिया का दबदबा
यमन में सुन्नियों की संख्या काफी है लेकिन हूती विद्रोहियों में ज्यादातर शिया इस्लाम को मानने वाले लोग हैं और यह केवल 15 फीसदी यमनियों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं. इतने कम होने के बाद भी यह लोग यमन का असली प्रतिनिधि मानते हैं. यमन में काफी अधिक समय तक रहे ब्रिटिश राजदूत एडमंड फिटन-ब्राउन ने कहा था कि हूती काफी हिंसक, युद्धप्रिय और क्रूर होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुझे अदन और ताइज में क्रूरता के आश्चर्यजनक उदाहरणों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि हूती ज्यादा कुलीन वर्गों से जुड़ा मानते हैं और दक्षिण यमन में सुन्नियों की उनसे काफी नफरत हैं. बताया जाता है कि हूतियों के पास हथियार बनाने के लिए कोई कंपनी या फैक्ट्री नहीं है इसके बाद भी हमला करने के लिए एके-47 जैसे राइफलों, ड्रोन और शिप मिसाइल का इस्तेमाल करते हैं. इसी बीच अमेरिका का कहना है कि उनको हथियार देने का काम ईरान करता है और वह उसके समर्थन से ही वहां पर पल रहे हैं. अमेरिका अक्सर आरोप लगाता रहा है कि ईरान सीधे तौर पर हूतियों को अपने हथियार नहीं देता है लेकिन हथियारों को छोटे-छोटे पार्ट्स में करके सबसे पहले अफ्रीकी देश में देता है और उसके बाद वहां से नौकाओं के द्वारा यमन लेकर जाया जाता है.

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Conclusion
हमास की तरफ से 7 अक्टूबर, 2023 पर हमला करने के बाद इजराइल और हमास के बीच सीधी जंग शुरू हो गई. इस युद्ध में बीते दो सालों में करीब 51 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इजराइल ने गाजा में निशाना बनाकर हमास पर हमला किया था और अस्पतालों से लेकर बिल्डिंगों पर हवाई फायरिंग भी की थी. इसी बीच ईरानी समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों ने कहा था कि वह हमास का समर्थन करते हुए लाल सागर में जा रहे व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इसमें सबसे ज्यादा इजराइली जहाजों को निशाना बनाया था और दो जहाज को बंधक बनाकर उस पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद इजराइल के निशाने पर हमास और हूती विद्रोही आ गए थे.
वहीं, अगर हम हूती के अस्तित्व पर बात करें तो इस संगठन को 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के खिलाफ कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मामले में लड़ने के लिए गठित किया गया था. वहीं, हूतियों ने यमन के उत्तर में सादा प्रांत में कब्जा करने में कामयाब हुए और उस दौरान राष्ट्रपति हादी यमन छोड़कर विदेश में भाग गए. हालांकि, पड़ोसी देश सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों को सत्ता से हटाकर एक फिर हादी को गद्दी पर बैठाने की काफी कोशिश कर दिया. आपको बताते चलें कि यमन में सुन्नियों की संख्या काफी है लेकिन हूती विद्रोहियों में ज्यादातर शिया इस्लाम को मानने वाले लोग हैं और यह केवल 15 फीसदी यमनियों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं. इतने कम होने के बाद भी यह लोग यमन का असली प्रतिनिधि मानते हैं. इसी बीच यमन में काफी अधिक समय तक रहे ब्रिटिश राजदूत एडमंड फिटन-ब्राउन ने कहा था कि हूती काफी हिंसक, युद्धप्रिय और क्रूर होते हैं. उनका मानना था कि इस संगठन का अगर कोई विरोध करता है तो यह उसे मौत के घाट उतार देते हैं. यह लोग हिंसा के दम पर हर चीज को हासिल करने में विश्वास रखते हैं.
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