Vice President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं.
Vice President Jagdeep Dhankhar: वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई थीं उनपर कोर्ट ने बीते सप्ताह सुनवाई की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार को समय देने के लिए एक हफ्ते का समय संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता को दिया गया था. इसके बाद से देश भर में सियासी बवाल छिड़ा हुआ है. एक तरफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कोर्ट के इस आदेश पर विवादित बयान दिया और कोर्ट को धार्मिक उन्माद भड़काने वाला कहा. जबकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी कोर्ट पर सवाल उठाए थे.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की भूमिका पर उठाए सवाल
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट कहा कि संसद देश की सबसे बड़ी और सर्वोच्च संस्था है, और चुने हुए सांसदों को ही यह अंतिम अधिकार है कि संविधान कैसा होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी संस्था संसद से ऊपर नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट के दो ऐतिहासिक फैसलों पर क्या कहा ?
उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के दो ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र करते हुए अपनी बात को और स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, “एक बार सुप्रीम कोर्ट ने गोलकनाथ केस में कहा कि संविधान की प्रस्तावना इसका हिस्सा नहीं है, लेकिन बाद में केशवानंद भारती केस में कहा गया कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है.” इन फैसलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने न्यायपालिका के दृष्टिकोण में बदलाव पर सवाल उठाए.
लोकतंत्र में चुप रहना खतरनाक
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने लोकतंत्र में खुली चर्चा और बातचीत के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में सोचने-विचारने वाले लोगों का चुप रहना खतरनाक हो सकता है. संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के दायरे में रहकर बोलना चाहिए।” उन्होंने देश की संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करने की बात कही और अशांति, हिंसा तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति की निंदा की. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर सख्त कदम भी उठाए जा सकते हैं.
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