China India Border Dispute: साल 1962 से ही दोनों देशों के बीच के रिश्ते खराब रहे हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पर कई इलाक़ों में विवाद है. दोनों देश इस मामले में अलग-अलग दावे करते हैं.
02 April, 2024
China India Border Dispute: चीन और भारत के बीच का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जहां चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के नाम को बदल दिए तो वहीं भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है. सावल ये है कि दोनों के बीच विवाद शुरू कहां से हुआ. साल 1962 से ही दोनों देशों के बीच के रिश्ते खराब रहे हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पर कई इलाक़ों में विवाद है. दोनों देश इस मामले में अलग-अलग दावा करते हैं. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर यह शुरू कहां से हुआ और इसका अंत क्या हो सकता है.
ऐतिहासिक तथ्य नहीं बदलते
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने कहा कि ‘चीन ने अरुणाचल प्रदेश के अंदर 30 स्थानों के नाम को बदल दिए. जिसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं. चीन जो भी दावे करता है वो बेबुनियाद हैं. इससे जमीनी हकीकत और ‘ऐतिहासिक तथ्य’ नहीं बदल जाएंगे.अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, और सभी मानकों और परिभाषाओं के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के लोग परम देशभक्त भारतीय हैं.’
विदेश मंत्री ने चीन को दिया जवाब
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले को लेकर सोमवार को कहा कि मैं अगर अपने घर का नाम बदल दूं तो वो मेरा नहीं हो जाएगा. अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था है और आगे भी रहेगा. नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला है न ही हमें इससे कोई फर्क पड़ेगा.ये हर कोई जानता है कि हमारी सेना वहां पर तैनात है और उन्हें अच्छे से मालूम है कि उन्हें क्या करना है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल चीन ने अरुणचाल प्रदेश के 30 जगहों के नाम बदल दिए हैं. चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों का नाम बदले जाने की जानकारी दी है. चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है और इसे अपने आधिकारिक नक्शे में भी दर्शाता है. चीन ने सोमवार को एक बार फिर ये दावा किया है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका क्षेत्र रहा है.चीन के मंत्रालय ने इसकी एक सूची भी जारी कर दी है. जिन जगहों के नाम बदले गए हैं, उनमें अरुणाचल प्रदेश के 11 जिले, 12 पहाड़, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा और जमीन का एक हिस्सा शामिल है. इन सभी जगहों को चीनी भाषा में लिखकर दर्शाया गया है.
चीन और भारत के बीच विवाद का क्या है कारण
चीन और भारत के बीच विवाद का मुख्य कारण 3440 किलोमीटर लंबी सीमा है. जिसके लेकर दोनों देशों के अपने अपने दावे हैं. ये इलाका नदियों, झील और बर्फ़ से घिरे पहाड़ों के बीच है . दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद होता रहता है. कई बार तो ऐसा होता है कि दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ जाते हैं. साल 2020 में गलवान में भारत और चीन के बीच लड़ाई हुई थी. जिसमें भारत के 20 सैनिक मारे गए थे और कई घायल हुए थे. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत हुई, लेकिन तनाव कम नहीं हुआ. साल 2022 के दिसंबर में भी अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिर भिड़ गए. जिसमें दोनों ही देशों के कई सैनिक घायल हुए थे, लेकिल 2020 में हुई झड़प सबसे हिंसक थी.
बंदूक या विस्फोटक का नहीं कर सकते इस्तेमाल
1996 में दोनों देशों के बीच एक सहमति हुई थी कि सीमा पर बंदूक या विस्फोटक का इस्तेमाल सैनिक नहीं करेंगे. ऐसे में जितनी भी लड़ाई दोनों देशों के बीच हुई है वो बंदूक या विस्फोटक से नहीं हुई है. डंडों और अन्य हथियारों का इस्तेमाल सैनिकों ने किया था. हालांकि चीन का हमेशा से कहना है कि भारतीय सैनिक ही इस विवाद के लिए ज़िम्मेदार हैं.
1962 में हार गया था भारत
दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा युद्ध 1962 में हुआ था. जिसमें कई सैनिक मारे गए थे, इसमें भारत की हार हुई थी. दोनों ही देशों के बीच का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में ये चिंता जताई जाती रही है कि चीन और भारत के बीच का तनाव कहीं युद्ध में न बदल जाए. दोनों ही देश परमाणु शक्ति से संपन्न हैं तो अगर युद्ध हुआ तो कोई सोच भी नहीं सकता कि दोनों ही देशों को कितना नुकसान होगा. इस मामले में जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत ही एकमात्र रास्ता है.
पीएम मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे से बौखला जाता है चीन
चीन और भारत के बीच का तनाव तब सबसे ज्यादा बढ़ जाता है जब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाते हैं. हाल ही में 11 मार्च को पीएम ने अरुणाचल प्रदेश के दौरा किया था. जहां उन्होंने हजारों करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था. जिसमें दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बनी सबसे लंबी सुरंग भी शामिल थी. पीएम मोदी के इस दौरे से चीन बौखला गया था और यह कहा कि भारत के इस कदम से सीमा विवाद और भी ज्यादा बढ़ जाएंगे. चीन लगातार अरुणाचल में भारत के नेताओं के दौरे करने पर विरोध जताता रहता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि भारत को चीन के जंगनान क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है. साल 2019 में भी जब पीएम मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए थे तो चीन ने आपत्ति जताई थी.
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