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Patanjali Advertisement Case: भ्रामक विज्ञापन मामले में SC की बाबा रामदेव-बालकृष्ण को कड़ी फटकार

by Live Times
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Patanjali Misleading Ads Case

02 April, 2024

Patanjali Advertisement Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (02 अप्रैल) को पतंजलि (Patanjali) के भ्रामक विज्ञापनों (Advertising) पर अपने निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई. इस दौरान बाबा रामदेव अदालत में मौजूद थे और उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि की तरफ से दाखिल हलफनामे पर एतराज जताया. इसके साथ ही भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और पंतजलि आयुर्वेद के एमडी (Managing Director) आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था. मामले पर सिर्फ पतंजलि ने हलफनामा दाखिल किया है, जिसके एमडी बालकृष्ण हैं. बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से भी हलफनामा देना था. दोनों पर आईएमए (Indian Medical Association) का आरोप है कि पतंजलि ने कोविड-19 (Covid-19) वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था. इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए. इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है यानी एलोपैथी के नाम पर लोगों को गलत दवाइयां बेची जा रही हैं.

SC (Supreme Court) ने लगाई बाबा रामदेव को फटकार

भ्रामक विज्ञापनों के मामले को लेकर योग गुरु रामदेव और पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद एमडी (Managing Director) आचार्य बालकृष्ण 02 अप्रैल यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील बलबीर ने सफाई में कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा. पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि कोर्ट ही नहीं बल्कि देश की किसी भी अदालत का आदेश हो उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि की माफी को स्वीकार नहीं किया. इस मसले पर अदालत ने कहा कि 10 अप्रैल को दोबारा सुनवाई करके के साथ हम अवमानना (Derogation) की कार्यवाही करेंगे. उस दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा.

बाबा रामदेव के वकील का पक्ष

बाबा रामदेव के वकील बलबीर ने कहा कि रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगना चाहते थे. इस पर कोर्ट ने कहा कि हलफनामा पहले आना चाहिए था. क्या कोर्ट से पूछकर हलफनामा लिखेंगे. कोर्ट ने बाबा रामदेव के इस रवैये को अस्वीकार किया. इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि बीते 21 नवंबर को कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी पतंजलि (Patanjali) ने भ्रामक विज्ञापनों (Advertising) का लगातार इस्तेमाल किया. साथ ही अगले दिन 22 नवंबर को रामदेव बाबा ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपना पक्ष भी रखा, जिसके बाद रामदेव के वकील ने कहा कि उन्हें सबक मिल गया है. हमारी तरफ से अवमानना कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने पर ही सबक मिलेगा. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल दिया और कहा कि वह वकीलों से बात कर उचित हलफनामा दाखिल करवाएंगे.

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