CM Kejriwal Judicial Custody : आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी गई है. इसी बीच लोगों के मन में सवाल खड़ा हो गया है कि सीएम केजरीवाल को जेल में कैसे रखा जाएगा, उनके लिए जेल में सिक्योरिटी से लेकर खाने तक की कैसी व्यवस्था होगी और इसको लेकर जेल नियम क्या कहते हैं.
3 April, 2024
Delhi Liquor Policy : दिल्ली शराब नीति 2021 के कथित घोटाले मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया. इसके बाद सोमवार (2 अप्रैल, 2024) को उन्हें तिहाड़ जेल लाया गया. अब अरविंद केजरीवाल की हिरासत बढ़ने के बाद कहा जा रहा है कि उन्हें जेल में क्या करवाया जाएगा. इसी के साथ अब सवाल उठता है कि जेल के मैन्युअल के मुताबिक कोई मंत्री अगर आर्थिक अपराध के मामलों में जेल में बंद है तो उसको वीआईपी कैद माना जाता है. जेल के नियम के अनुसार अंडर ट्रायल कैदियों के लिए अलग से कायदे-कानून हैं.
क्या मिलती हैं वीआईपी सुविधाएं ?
जेल में बंद कोई मंत्री, सांसद, विधायक और कोई बड़ा उद्योगपति किसी आर्थिक अपराध के मामलो में अंडरट्रायल है और सुपीरियर या वीआईपी होने की बात कहते हुए सुविधाओं की मांग कर सकता है. इसमें कई प्रकार की सुविधा शामिल होती है, जहां अंडरट्रायल के लिए थोड़ी सहजता बरती जाती है. लेकिन इसमें भी कई कैटेगरी शामिल हैं, जिसमें एक सुपीरियल क्लास से लेकर वीआईपी तक कई अन्य सुविधाएं शामिल होती हैं.
क्या होता है सुपीरियर क्लास ?
सुपीरियल क्लास के अंदर वाली सुविधाओं में कैदी को सोने के लिए एक तख्त, कॉटन की चादर, दरी, मच्छरदानी, एक मेज, एक चौकी, अखबार, कूलर, एक जोड़ी चप्पल, जेल के अंदर अलग से खाना बनावाना और बाहर से भी मंगवाया जा सकता है. वहीं, दूसरी तरफ आम बंदी को एक प्लेट और गिलास दिया जाता है. इसके अलावा सोने के लिए दरी और कम्बल भी दिया जाता है.
कौन होते हैं VIP कैदी ?
जेल मैन्युल के मुताबिक कैदी को अपनी आर्थिक और सामाजिक प्रोफाइल स्तर पर वीआईपी स्थिति के लिए आवेदन करने का अधिकार है. वैसे वीआईपी कैदियों में पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और न्यायिक मजिस्ट्रेट शामिल होते हैं. ज्यादातर दोषी राजनेताओं को जेल में खाने-पीने को लेकर अच्छी सुविधाएं मिलती हैं. इसको लेकर कई दफा सवाल खड़े किए जाते हैं कि सभी कैदी को समान नजर से देखा जाना चाहिए. किसी को भी विशेषाधिकार नहीं मिलना चाहिए.
वीआईपी सेल में स्पेशल क्या है ?
भारतीय जेलों वीआईपी उद्देश्य यह है कि जेल में बंद अन्य कैदियों से वीआईपी अभियुक्तों को सुरक्षा कारणों की वजह से अलग रखा जाता है. सरकार इन सेलों को अधिक निगरानी और सुरक्षा प्रदान करती है और अच्छी तरह रखने के लिए अलग से खर्चा भी करती है. वहीं, भारतीय संविधान में दिए गए जेल अधिनियम के अनुसार किसी भी जेल अधिकारी को बाहर का सामान बेचने पर कोई भी लाभ नहीं होना चाहिए. न ही वह किसी कैदी से जेल के अंदर कोई लाभ ले सकता है.
क्या कहता है जेल मैनुअल
प्रत्येक राज्यों में बनी जेलों में जेल मैनुअल के लिए कानून, नियम और विनियमों को बदलने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है. वहीं, गृह मंत्रालय ने विभिन्न समितियों की रिपोर्ट के आधार पर 2003 में जेल मैनुअल मॉडल तैयार किया था. जिसमें जेलों के प्रबंधन और कैदियों के इलाज को लेकर ‘मूलभूत न्यूनतम आवश्यकताएं’ जो मानवता की गरिमा के लिए जरूरी है और मिलनी चाहिए. लेकिन नेता और अभिनेता जो कठोर मामलों जेल में काट रहे हैं उनको वीआईपी सुविधाएं नहीं दी जाती है.
इन नेता और अभिनेता को मिली सुविधा
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की असमान संपत्ति मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद जयललिता बेंगलुरु की सेंट्रल जेल में वीआईपी सेल में रही थीं. इसी वीआईपी जेल में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और जनार्दन रेड्डी भी रहे हैं. 2 स्पेक्ट्रम घोटाले में कनमोझी वीआईपी उपचार दिया गया था. वहीं अमर सिंह को तिहाड़ जेल में सबसे बड़ी वीवीआईपी सुविधा मिली थी, उनको घर का बना खाना आता था और यूरोपीय शौचालय की सुविधा मिली थी. चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी होने के बाद भी जेल में वीआईपी सुविधा मिली थी. इसी कड़ी में सलमान खान का नाम भी आता है जब उन्हें कार से मुंबई फुटपाथ मामले में जेल के दौरान घर से खाना बनकर आया करता था और उन्हें जेल के अंदर अधिकारियों के साथ खड़े होते हुए भी देखा गया था.
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