Maa Kali: नवरात्रि का पर्व राक्षस महिषासुर पर मां दुर्गा की विजय का प्रतीक माना जाता है. मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है माता कालरात्रि. जानते हैं काली रूप की उत्पत्ति कैसे हुई.
4 April, 2024
Goddess Kalratri: सनातन धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 9 अप्रैल 2024, मंगलवार से नवरात्रि की शुरुआत होगी. इस उत्सव को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आदिशक्ति के नौ रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है. नवरात्रि का ये पर्व राक्षस महिषासुर पर मां दुर्गा की विजय का प्रतीक माना जाता है. मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है माता कालरात्रि. चलिए जानते हैं मां पार्वती के काली रूप की उत्पत्ति कैसे हुई.
मां काली कैसे हुईं उत्पन्न?
पौराणिक कथानुसार, शुंभ और निशुंभ राक्षसों का संहार करने के लिए मां पार्वती द्वारा देवी कालरात्रि का रूप धारण किया गया था. ये मां पार्वती के सबसे उग्र रूपों में से एक है. सांवले रंग की मां कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं. मां कालरात्रि के चार हाथ हैं, उनके दाएं हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं. वहीं बाएं हाथ में तलवार और लोहे का घातक हुक है. मान्यतानुसार, मां कालरात्रि का रूप जितना विकराल है, उनका दिल उतना ही प्रेम और करुणा से भरा हुआ है. मां अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं.
काली को प्रसन्न करने का तरीका
- ब्रह्म मुहूर्त में पूरी भक्ति और निष्ठा से उठें और स्नानादि करें.
- फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति स्थापित करें.
- मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और गुड़हल के फूलों की माला चढ़ाएं.
- फिर मां को मिठाई, पांच प्रकार के फूल, पंच मेवा और गुड़ का भोग लगाएं.
- अब मां की आरती करके खुशहाली की कामना करें.
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