KL Saigal: सिनेमा जगत के मशहूर सिंगर और एक्टर कुंदन लाल सहगल (KL Saigal) के गानों का भी एक दौर था. 4 अप्रैल को के एल सहगल का जन्म हुआ था. सहगल साहब के जन्मदिन के मौके पर याद करते हैं उनके कुछ खूबसूरत गानों को.
04 April, 2024
KL Saigal: दुख से नए दुख को जन्म देने वाला केएल सहगल का गना ‘गम दिए मुस्तक़िल’ आज-कल की जनरेशन ने शायद ही सुना होगा, मगर एक वो दौर भी था जब लोग अपने टूटे दिल की गवाही केएल सहगल के गाने ‘जब दिल ही टूट गया’ की लाइनों से देते थे. उन्होंने संगीत को कई खूबसूरत रंग दिए. ये कहना गलत नहीं है कि कुंदन लाल सहगल का हिंदी सिनेमा में अलग स्थान था. जम्मू में 4 अप्रैल, 1904 को पैदा हुए केएल सहगल बचपन से ही धुन और सुरों की समझ रखते थे. स्कूल जाने की उम्र से ही वो कीर्तन सुनने जाते थे. जब सहगल बड़े हुए तो काम तालाश में उनका शिमला, कानपुर, दिल्ली और कलकत्ता जाना हुआ. कलकत्ता में ‘सेल्समैन’ की नौकरी से उन्होंने शुरुआत की लेकिन ये केएल सहगल की मंजिल नहीं थी.
KL Saigal Song ऐसे बदली किस्मत
कलकत्ता के न्यू थियेटर्स ने केएल सहगल की किसमत ही बदल दी. देवकी बोस न्यू थियेटर्स के डायरेक्टर थे जिनके साथ केएल सहगल ने ‘पूरन भगत’, ‘चंडीदास’ (1934), ‘देवदास’ और ‘विद्यापति’ जैसी फिल्मो में काम करके खूब नाम कमाया. देवकी दास की फिल्म ‘सीता’ वो पहली फिल्म थी जिसे ‘वेनिस फिल्म फेस्टिवल’ में भारत की तरफ से प्रदर्शित किया गया था.
सहगल के खूबसूरत गीत
‘बाबुल मोरा नेहर छूटो ही जाए’, ये गाना फिल्म ‘स्ट्रीट सिंगर’ का है जो साल 1938 में रिलीज हुई थी. बेटियों की विदाई पर इस खूबसूरत गीत को संगीत की दुनिया में आज भी याद किया जाता है.
गम दिए मुस्तकिल
साल 1946 में रिलीज हुई फिल्म ‘शाहजहां’ का ये गाना दुख को बड़ी ही सहजता से व्यक्त करता है. मजरूह सुल्तानपुरी ने क्या खूब इस गाने को लिखा था. इस गाने को केएल सहगल पर ही फिल्माया गया था.
इक बंगला बने न्यारा
फिल्म ‘प्रेसिडंट’ का ‘इक बंगला बने न्यारा’ गाना आज भी गुनगुनाया जाता है. वैसे ये फिल्म साल 1936 में रिलीज हुई थी. इस गाने ने रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत से जनता को बांधा हुआ है.
जब दिल ही टूट गया
‘शाहजहां’ (1946) फिल्म का गाना ‘जब दिल ही टूट गया’ मजरूह सुल्तानपुरी की कलम का जादू था. ये दर्द भरा गीत टूटे दिल की हालत को खूबसूरती से बयां करता है. नौशाद ने इस गीत को अपने संगीत से सजाया. केएल सहगल के गाने आज भी सुनते हैं तो लगता है जैसे आज ही के हों. उस दौर के संगीत का जादू कुछ ऐसा ही था.
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