Varanasi Lok Sabha Seat: 1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई थी. जब 1951-52 में यहां से पहला आम चुनाव हुआ तो उस समय बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं.
08 April, 2024
Varanasi Lok Sabha Seat: देश की सबसे हॉट सीट वाराणसी बनी हुई है. जहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार मैदान में उतरे हैं. वाराणसी सीट से लड़कर ही वो दो बार प्रधानमंत्री बने हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि न मुझे किसे ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है. जब से यह सीट अस्तित्व में आई है तब से यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं और कांग्रेस को इस सीट से सबसे ज्यादा बार कामयाबी मिली है. हालांकि यह सीट अभी बीजेपी के पास है.
जानें चुनावी इतिहास
1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई थी. जब 1951-52 में यहां से पहला आम चुनाव हुआ तो उस समय बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं. जिसके बाद वाराणसी सीट अस्तित्व में आई और कांग्रस को इसमें जीत मिली. कांग्रेस की तरफ से रघुनाथ सिंह ने चुनाव लड़ा था. 1962 में हुए चुनाव में भी कांग्रेस को ही जीत मिली. उन्होंने जनसंघ उम्मीदवार रघुवीर को हराकर जीत अपने नाम की थी. 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली. 1971 में कांग्रेस की फिर से वापसी हुई.
आपातकाल के बाद क्यों हारी कांग्रेस
1971 के चुनाव के बाद 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया गया था. जिसके बाद कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली. भारतीय लोक दल के चंद्रशेखर ने जीत अपने नाम की थी, लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर वापसी की. 1984 में भी कांग्रेस को ही जीत मिली. 1989 में जनता दल के अनिल शास्त्री ने जीत अपने नाम कर ली थी. 1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली. बीजेपी उम्मीदवार शीश चंद्र दीक्षित के सिर जीत का ताज सजा था, तब से इस सीट पर बीजेपी का ही दबदबा है. 1996 , 1998 और 1999 में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल को जीत मिली तो 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की.
नरेन्द्र मोदी को पहली बार मिली थी जीत
2014 का लोकसभा चुनाव तो सभी को याद ही होगा . गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि नरेन्द्र मोदी ने वडोदरा के साथ-साथ वाराणसी सीट से भी नामांकन किया था. नरेन्द्र मोदी को इस सीट से जीत मिली थी और इसी जीत के बाद नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल ने उन्हें करा टक्कर दिया था. इस चुनाव में केजरीवाल दूसरे स्थान पर थे. जहां, नरेन्द्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले थे तो केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले थे. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री को वडोदरा सीट पर भी जीत मिल गई थी. लेकिन उन्होंने प्रतिनिधित्व के लिए वाराणसी को चुना. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी को इस सीट से जीत मिली थी.
वाराणसी लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट पर ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य, कुर्मी वोटर्स सबसे ज्यादा हैं. हालांकि मुस्लिम मतदाताओं की भी संख्या यहां काफी है. एक रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में लगभग 3 लाख ब्राह्मण, 3 लाख मुस्लिम वोटर, 3 लाख गैर-यादव ओबीसी वोटर, 2 लाख से ज्यादा कुर्मी मतदाता, 2 लाख वैश्य वोटर और डेढ़ लाख भूमिहार वोट हैं। इसके आलावा एक लाख यादव और एक लाख अनुसूचित जातियों के लोग हैं.
वाराणसी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं
रोहनिया
वाराणसी उत्तर
वाराणसी दक्षिण
वाराणसी कैंट और
सेवापुरी
वोटरों की संख्या
वाराणसी में 2019 की अगर बात करें तो कुल वोटरों की संख्या 1060476 थी. जिसमें पुरुष मतदाता 606306 थे और महिला मतदाता 452435 थीं. अभी इस सीट पर 829560 पुरुष वोटर हैं, 1027113 महिला वोटर हैं तो 118 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
वाराणसी की खास बातें
वाराणसी को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है. पुराणों के अनुसार इसका मूल नाम काशी ही था. कहा जाता है कि काशी नगर की स्थापना भगवान शिव ने की थी, जिस वजह से यहां आज भी कई महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं. काशी हिंदुओं की पवित्र स्थानों में से एक है. यहीं नहीं रामायण और महाभारत में भी काशी नगर का उल्लेख आता है. केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी यह पवित्र नगरी है. वहीं, वाराणसी को महान वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर ने सर्व विद्या की राजधानी का खिताब दिया है.
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