Adiyogi idol: आदियोगी मंदिर तमिलनाडु के शहर कोयंबटूर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित है जिसको आदियोगी नाम से जाना जाता है. यहां पर स्थापित मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है जो 112 फीट ऊंची और 500 टन भारी है.
14 April, 2024
Adiyogi Shiva statue: भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जिसके प्रति लोगों में विशेष आस्था है. उन्हीं में से एक है आदियोगी मंदिर. ये मंदिर तमिलनाडु के शहर कोयंबटूर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित है जिसको आदियोगी नाम से जाना जाता है. यहां पर स्थापित मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है जो 112 फीट ऊंची और 500 टन भारी है. इस मंदिर का निर्माण फेमस भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा करवाया गया है. चलिए जानते हैं आदियोगी मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.
मूर्ति का महत्व
भगवान शिव सर्वोपरि हैं उन पर किसी रूप, काल और पद का कोई बंधन नहीं है. शिव को सनातन धर्म में सर्वशक्तिमान माना गया है. देवो के देव महादेव सभी बंधनों से मुक्त हैं. तमिलनाडु की आदियोगी मूर्ति भोलेनाथ को समर्पित है. आदियोगी प्रतिमा में महान योगी भगवान शिव गहन ध्यान और पारलौकिक वास्विकता में लीन दिखाई दे रहे हैं. ईशा फाउंडेशन के अनुसार, आदियोगी मूर्ति का ये चेहरा मुक्ति का प्रतीक है. साथ ही उनका ये चेहरा उन 112 रास्तों को दर्शाता है, जिससे व्यक्ति को योग के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कक सकता है.
खासियतें
योगेश्वर लिंग पर हर अमावस्या के दिन आसपास के गावों द्वारा पारंपरिक प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस लिंग पर ‘शंभों मंत्र’ 4 साउथ इंडिन भाषाओं- तमिल, कन्नड, मलयालम और तेलुगु में लिखा हुआ है. साथ ही आदियोगी प्रतिमा द्वारा धारण की हुई माला असली रुद्राक्ष से बनाई गई है. ये दुनिया की सबसे बड़ी रुद्राक्ष की माला है जो 100,008 रुद्राक्ष की मदद से तैयार हुई है. आदियोगी मूर्ति के चारों ओर 621 त्रिशूल लगे हुए हैं जिन पर भक्त और श्रृद्धालुजन काला कपड़ा बांधते हैं और आदियोगी को कपड़े चढ़ाते हैं.
शिव को आदियोगी क्यो कहते हैं
सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ को सृष्टि के संहारक के रूप में पूजा जाता है. आदियोगी का मतलब, पहला आदिगुरु या योगी या पहला गुरु है. यहां पर भोले शंकर को पहले योगी की संज्ञा दी गई है. आज हम जिस योगिक विज्ञान के बारे में जानते हैं, उसके जनक भगवान शिव ही हैं.
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