Jagannath Yatra: इस साल 07 जुलाई से भगवान जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है. मान्यतानुसार, जो साधक इस दौरान भगवान जगन्नाथ का पूजन करता है उसको जीवन में विशेष फल की प्राप्ति होती है. जानिए इस यात्रा की खासियत.
26 April, 2024
Jagannatha Ratha Yatra 2024: हिंदू पंचांग के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है. भगवान जगन्नाथ की इस यात्रा को गुंडिचा और रथ महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 07 जुलाई से भगवान जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है. मान्यतानुसार, जो साधक इस दौरान भगवान जगन्नाथ का पूजन करता है उसको जीवन में विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रृद्धालु शामिल होते हैं. आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें.
क्यों निकाली जाती है यात्रा
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार बहन सुभद्रा ने भगवान जगन्नाथ से नगर देखने की इच्छा जतायी. फिर भगवान जगन्नाथ ने बहन सुभद्रा को रथ पर बिठाया और पूरा नगर घुमाया. इस दौरान वो 7 दिन अपनी मौसी के यहां भी रुके. मान्यतानुसार, तभी से हर साल जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा बनी हुई है.
यात्रा से जुड़ी खास बातें
- भगवान जगन्नाथ के रथ नीम की लकड़ी से बनाए जाते हैं जिसमें 16 पहिए होते हैं. इस रथ को शंखचूड़ रस्सी से खींचने की परंपरा है.
- भगवान जगन्नाथ यात्रा में 3 भव्य और विशालकाय रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा विराजमान होते हैं.
- इस यात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है.
- यात्रा के रथ को बनाने के लिए किसी कील यां कांटे का उपयोग नहीं होता. शास्त्रानुसार, आध्यात्मिक कार्यों में कील या कांटें का उपयोग अशुभ माना जाता है.
- यहां आपको बता दें कि, यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ लाल या पीले रंग का होता है. वहीं देवी सुभद्रा और भगवान बलराम का रथ लाल रंग का होता है.
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