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Dwarikadhish Mandir: ये हैं गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

by Pooja Attri
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Dwarikadhish Mandir: ये हैं गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Shri krishna Temple: द्वारकाधीश मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक ​​पहुंचने के लिए 50 से अधिक सीढ़ियां हैं. द्वारका आने वाले पर्यटकों के लिए द्वारकाधीश मंदिर (जगत मंदिर) मुख्य आकर्षण माना जाता है. इसकी स्थापना 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी.

30 April, 2024

Dwarikadhish Mandir Gujarat: गुजरात का द्वारकाधीश मंदिर जगत मंदिर के रूप में फेमस है. ये मंदिर श्रीहरि विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण भगवान को समर्पित है. द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका में मौजदू है. इस 5 मंजिला मंदिर में 72 स्तंभ हैं। इस मंदिर को जगत या निज मंदिर नामों से भी जाना जाता है. पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार, ये मंदिर 2,200 – 2,500 साल पुराना है. द्वारकाधीश मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक ​​पहुंचने के लिए 50 से अधिक सीढ़ियां हैं, इसकी हैवी मूर्तिकला वाली दीवारें गर्भगृह को मुख्य कृष्ण मूर्ति से जोड़ती हैं. द्वारका आने वाले पर्यटकों के लिए द्वारकाधीश मंदिर (जगत मंदिर) मुख्य आकर्षण माना जाता है. इसकी स्थापना 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी. प्राचीन मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है, विशेषकर 16वीं और 19वीं शताब्दी की छाप छोड़कर. आइए जानते हैं इस मंदिर की कुछ खास विशेषताएं.

विशेषताएं

यहां के मंदिर परिसर के चारों ओर अन्य छोटे मंदिर स्थित हैं. दीवारों पर पौराणिक कथाओं को बारीकी से दर्शाया गया है. प्रभावशाली 43 मीटर ऊंचे शिखर के शीर्ष पर 52 गज कपड़े से बना एक झंडा है जो मंदिर के पीछे अरब सागर से आने वाली हल्की हवा में लहराता है. मंदिर में प्रवेश और निकास के लिए दो दरवाजे (स्वर्ग और मोक्ष) हैं. मंदिर के आधार पर सुदामा सेतु नामक पुल (सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक, शाम 4-7.30 बजे) लोगों को गोमती नदी के पार समुद्र तट की ओर ले जाता है.

इतिहास

काठियावाड़ प्रायद्वीप के पश्चिमी सिरे पर स्थित द्वारका को भारत के सबसे पवित्र स्थलों – चार धामों, जिनमें बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम शामिल हैं – के साथ जोड़ा गया है. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण इस शहर का निर्माण करने के लिए उत्तर प्रदेश के ब्रज से यहां पहुंचे थे. मंदिर की स्थापना उनके पोते ने की थी. यह गोमती नदी और अरब सागर के मुहाने पर है, जो आध्यात्मिक स्थल को एक सुंदरता प्रदान करता है. ऐसा कहा जाता है कि द्वारका छह बार समुद्र में डूबी थी और अब जो हम देखते हैं वह उसका सातवां अवतार है. इस मंदिर की अपने आप में एक दिलचस्प कथा है. मूल संरचना को 1472 में महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था और बाद में 15वीं-16वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया. इसे 8वीं सदी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने भी सम्मानित किया था.

यात्रा का समय

यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच है. इस दौरान यहां जन्माष्टमी का भव्य जश्न मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Vaishno Devi Mandir: जानिए वैष्णों देवी मंदिर से जुड़ी कुछ अहम बातें

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