Amethi Lok Sabha Election 2024 : अमेठी सीट के 57 सालों के इतिहास में ज्यादातर कांग्रेस का दबदबा रहा है. वहीं गांधी परिवार के लिए यह संसदीय सीट राजनीतिक कर्मस्थली रही है.
03 May, 2024
Amethi Lok Sabha Election 2024: अमेठी लोकसभा सीट देश की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार है. एक बार फिर यह सीट चर्चा में है. कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली सीट से जबकि अमेठी सीट से केएल शर्मा चुनाव लड़ेंगे. उत्तर प्रदेश का अमेठी लोकसभा क्षेत्र किसी पहचान का मोहताज नहीं है.
Amethi Lok Sabha Election 2024: गांधी परिवार जुड़े नेता बने सांसद
यहां से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी एक से अधिक बार संसद चुने जा चुके हैं. यहां की फिजा बदली हुई है. वर्तमान में यहां की सासंद BJP की नेता व केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी हैं. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हराया था. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अमेठी से BJP ने एक बार फिर स्मृति ईरानी पर दांव खेला है. इंडिया गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है, इसके साथ ही बसपा ने भी अब तक अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.
उत्तर प्रदेश की लोकसभा की 80 सीटों में से एक अमेठी सीट को नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. इस लोकसभा सीट की रियासी इतिहास भी बेहद दिलचस्प रहा है. साल 1967 में अमेठी लोकसभा सीट पहली बार अस्तित्व में आई.
1977 में हुई गांधी परिवार की एंट्री
आपातकाल के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव के लिए अमेठी से पहली बार गांधी परिवार की तरफ से किसी सदस्य ने इस सीट से अपनी दोवेदारी पेश की. इसके बाद साल 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए और संजय गांधी दूसरी बार मैदान में उतरे. वहीं संजय गांधी अमेठी लोकसभा सीट ले अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनता पार्टी के रंविद्र प्रताप सिंह को 1,28,545 वोटों से हराकर संसद पहुंचे थे.
अमेठी में भिड़े मेनका और राजीव गांधी?
गांधी परिवार से संजय गांधी की मृत्यु के बाद साल 1981 में अमेठी सीट पर उपचपनाव हुआ. इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी को राजनीति में उतारा और वह साल 1981 में अमेठी से पहली बार सांसद बन गए, लेकिन गांधी परिवार के बीच असल राजनीति का खेल साल 1984 तके लोकसभा चुनाव में अमेठी से देखने को मिला. 1984 में हुई लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी लगातार दूसरी बार अमेठी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में थे. उनके खिलाफ छोटे भाई संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा था. उस दौर में मेनका बेटे वरुण गांधी को गोद में लेकर चुनाव प्रचार करती थीं.
पहली बार 1998 में BJP ने मारी बाजी
वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में BJP के संजय सिंह ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई. कांग्रेस ने अमेठी लोकसभा सीट से बड़ा दांव खेलते हुए गांधी परिवार की बहू सोनिया गांधी को साल 1990 में मैदान में उतारा. इसके साथ उस वक्त सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी थी. फिर साल 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी लोकसभा से ही राजनीति में अपना पर्दापण किया हुआ था. इसके अलावा, उनके सामने मैदान में BJP के प्रत्याशी संजय सिंह थे. तकरीबन इस चुनाव में सोनिया गांधी ने 45 प्रतिशत वोट आसिल कर संजय सिंह को 3,00,012 वोटों से हराकर सांसद बनीं. दरअसल, इसके बाद सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के खातिर यह लोकसभा सीट छोड़कर साल 2004 में 24वें लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को कांग्रेस ने पहली बार इस सीट से मैदान में उतारा, इसके बाद राहुल गांधी मने बसपा प्रत्याशी चंद्र प्रकाश मिश्रा मटियारी को 2,90,853 वोटों के अंतर से हराया. राहुल गांधी ने 2009 में अपने नाम अमेठी सीट में जीत दर्ज की, जिसमें जीत का अंतर साढ़े 3 लाख से भी ज्यादा का था.
अमेठी का जातिगत समीकरण
अमेठी लोकसभा सीट पर मतदाताओं के हिसाब से जातीय समीकरण देखें तो यहां दलित, ब्राह्मण, मुस्लिम और राजपूत मतदाताओं का बोलबाला है. इसके साथ 2019 के चुनाव के मुताबिक. यहां कुल वोटरों की संख्या करीब 17 लाख है. इसके बाद संसदीय सीट पर दलित वोटर 26 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम वोटर 20 प्रतिशत है. इसके अलावा, ब्राह्मण 18 प्रतिशत , 11 प्रतिशत क्षत्रिय, मौर्य और यादव कुल मिलाकर 16 प्रतिशत वोटर हैं. 10 प्रतिशत लगभग कुर्मी और लोध भी हैं.
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