Indian Constitution: इस लोकसभा चुनाव में भारत का संविधान एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है. पर क्या वाकई में भारत के सविंधान को बदला जा सकता है?
16 May, 2024
Indian Constitution : लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय संविधान एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है. विपक्ष का कहना है कि अगर नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो BJP संविधान बदल देगी. यह अलग बात है कि BJP इन दावों को सिरे से खारिज कर रही है. BJP का दावा है कि कांग्रेस और I.N.D.I.A. ब्लॉक की पार्टियां संविधान बदलना चाहती हैं. वहीं, दुनियाभर में भारत के संविधान की बड़ी साख है. इसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों का जिक्र है. साथ ही केंद्र और राज्य की शक्तियों और संबंधों से जुड़े जरूरी दिशानिर्देश भी हैं. इसके साथ ही संविधान में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई में संविधान को बदला जा सकता है?
बदलाव का भी प्रावधान
दरअसल, संविधान में बदलाव का भी प्रावधान है, लेकिन लीगल एक्सपर्ट का मानना है कि इसमें बदलाव करना आसान नहीं है.
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील विकास सिंह का कहना है कि बेसिक स्ट्रक्चर का सिद्धांत कहता है कि संविधान को लागू करने के समय जो अस्तित्व में था उसे बदला नहीं जा सकता है. वहीं, केशवानंद भारती फैसले में यह भी कहा गया है कि संविधान की मूल संरचना को बदला नहीं जा सकता, लेकिन अगर संसद जरूरी समझे और संविधान के मुताबिक बहुमत हो तो कुछ बदलाव किए जा सकते हैं.
कैसे होता है संविधान में बदलाव
अनुच्छेद 368 में इस बात का जिक्र है कि संविधान में बदवाल किस तरह किया जा सकता है. ये बदवाल तीन तरह के होते हैं. पहला संशोधन संसद में साधारण बहुमत से किया जा सकता है. दूसरे संशोधन के लिए पूर्ण बहुमत यानी दोनों सदनों की कुल सदस्य संख्या से आधे से ज्यादा सहमत हों, तो बदलाव संभव है. साथ ही विशेष बहुमत, मतलब दोनों सदनों की कुल सदस्य संख्या का बहुमत और वोटिंग के लिए मौजूद कुल सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत चाहिए. तीसरा.. संशोधन के लिए न केवल विशेष बहुमत चाहिए, बल्कि देश के कम से कम आधे राज्यों के समर्थन की भी जरूरत होती है.
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