Satnami Samaj Voilence : छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हिंसा पर बवाल जारी है. संभावित गड़बड़ी के मद्देनजर 16 जून तक इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है.
10 जून, 2024
Satnami Samaj Voilence : Baloda Bazar Violence : छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में सोमवार (10 जून) को जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई. इसके बाद यहां पर धारा-144 लागू हो गई है. इस बवाल में सतनामी समाज का नाम सामने आया है. यहां पर हम बता रहे हैं सतनामी समाज और इसके इतिहास के बारे में. जानकारों की मानें तो सतनामी परंपरा को 18वीं शताब्दी के संत गुरु घासीदास ने शुरू किया था. वो बलौदा बाजार के गिरौदपुरी नाम के गांव के रहने वाले थे. ये जगह सतमानी समाज के लोगों के तीर्थस्थान के नाम से भी जानी जाती है.
क्या होती है जैतखंभ की मान्यता?
सतनाम समाज के लोगों में ‘जैतखंभ’ की मान्यता होती है. जैत मतलब सत्य और खाम मतलब खंभा और जैतखंभ लकड़ी या कंक्रीट से बना एक खंभा, जो सतनामी समाज का प्रतीक चिह्न होता है. इन दो शब्दों से मिलकर ही जैतखंभ बनता है. सतनामी समाज इसी जैतखाम की पूजा करता है. कई ग्रंथों के अनुसार, ऐसे भी बताया जाता है कि गुरु घासीदास ने अपने अनुयायियों को सतनाम और सत्य के साथ चलने और हिंसा से दूर रहने की सीख देते थे. सतनामी परंपरा को मानने वाले सबसे ज्यादा लोग दलित समाज के होते हैं. सतनामी समाज के गुरुओं में संन्यास की परंपरा नहीं होती है. सतनामी समाज के गुरु अपना घर परिवार बसा के रहते हैं.
क्या है छत्तीसगढ़ की राजनीति में सतनामी विवाद
सतनामी समाज छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा और अहम फैक्टर है. इस समाज की छत्तीसगढ़ की 15-17 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य की सभी 10 आरक्षित सीटों पर सतनामी समाज का प्रभाव काफी ज्यादा देखा जाता है. इस वजह से छत्तीसगढ़ के दोनों राजनीतिक दल कांग्रेस और BJP चुनाव में इस समाज के किसी गुरु को टिकट जरूर देती है. सतनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भी रहते हैं.
कैसे हुई बलौदा बाजार में हिंसा?
बलौदा बाजार में सतनामी समाज के लोग धार्मिक स्थल ‘जैतखाम’ में हुई तोड़फोड़ के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने 14 मई को हुई तोड़फोड के आरोप में 3 लोगों का गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों का कहना था कि ठेकेदार ने उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया था. इसी वजह से उन्होंने तोड़फोड़ की. जब पुलिस ने ये वजह सतनामी समाज को बताई तो उन्होंने इसे मानने से इन्कार कर दिया और सतमानी समाज ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. हालांकि सरकार ने इस तोड़फोड़ की न्यायिक जांच की सिफारिश कर दी है. इसके बाद भी बलौदा बाजार में हिंसा हुई.
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