Kargil Vijay Diwas : लद्दाख के एंट्री गेट के तौर पर जाने जाने वाले द्रास कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच का सेंटर था.
25 July, 2024
Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल वॉर के 25 साल बाद भी इसकी यादें लोगों के जेहन में ताजा हैं. लद्दाख के एंट्री गेट के तौर पर जाना जाने वाला द्रास कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच सेंटर था. द्रास सेक्टर के लोग कारगिल युद्ध के गवाह रहे हैं.
द्रास देश के लिए है काफी अहम
कारगिल युद्ध के दौरान द्रास के पूर्व नायब तहसीलदार ने कहा कि न सिर्फ मस्खो घाटी बल्कि पूरे द्रास में गोलाबारी हुई थी. द्रास इंडिया गेट से लेकर काकसर पुल तक द्रास ही कहलाता है. उन्होंने कहा कि केवल दो या तीन गांव ही ऐसे थे जहां बम नहीं गिरा बाकी सारे गांव में बम गिरा था. बता दें कि द्रास से गुजरने वाला नेशनल हाइवे लद्दाख को देश के बाकी हिस्सों से जुड़ता है. द्रास की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि पाकिस्तान ज्यादातर हमले इसी इलाके में करता है.
क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस ?
3 मई, 1999 में शुरू हुआ कारगिल युद्ध 83 दिनों तक चला था. कारगिल युद्ध पाकिस्तान पर भारत की शानदार जीत को याद दिलाता है और इसी की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. इसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय सेना के आगे पाकिस्तानी घुसपैठियों को घुटने टेकने पड़ गए थे. भारतीय सेना के जवानों ने अपनी जान न्योछावर कर देश की रक्षा की थी. जवानों ने एक ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बन गई.
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