State Bar Council : राज्य बार काउंसिल में लॉ ग्रेजुएट के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क बढ़ाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि शुल्क बढ़ाने का अधिकार संसद के पास है.
30 July, 2024
State Bar Council : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन शुल्क पर अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल में जनरल, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) कैटेगरी के लॉ ग्रेजुएट वकीलों के रूप में नामांकन करने के लिए 650 और 125 रुपये से ज्यादा शुल्क नहीं ले सकते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और राज्य बार काउंसिल (SBC) अधिवक्ता अधिनियम (Advocates Act) के तहत नामांकन करने के लिए कानूनी प्रावधानों के खिलाफ नहीं जा सकते.
अधिवक्ता एक्ट के तहत दी गई चुनौती
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला (Justice J B Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की बेंच ने राज्य बार काउंसिल में वकीलों के रजिस्ट्रेशन पर अत्यधिक शुल्क को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया. मंगलवार को Advocates Act, 1961 की धारा का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि लॉ ग्रेजुएट के नामांकन दर्ज करने के लिए जनरल कैटेगरी के लिए 650 रुपये संसद ही कानून बनाकर शुल्क बढ़ा सकती है.
केंद्र, BCI और SBC को जारी किया था नोटिस
10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर केंद्र सरकार, BCI और राज्य बार काउंसिल को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है. याचिकाओं में कहा गया है कि अत्यधिक नामांकन फीस लेना कानूनी प्रावधानों के विरुद्ध है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को इस मामले में दखल देना चाहिए कि यह फैसला वापस लिया जाए. कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया कि ओडिशा में नामांकन शुल्क 42,100 रुपये, उत्तराखंड में 23,650 रुपये, केरल में 20,050 रुपये, गुजरात में 25,000 रुपये और झारखंड में 21,460 रुपये है. साथ ही इतनी ऊंची फीस के कारण कई अच्छे युवा वकीलों को नामांकन दर्ज करने से वंचित होना पड़ता है.
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