Bangladesh Violence: तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने कहा कि शेख हसीना ने इस्लामवादियों को खुश करने के लिए मुझे देश से बाहर निकाल दिया. मैं अपनी मां को मृत्युशय्या पर आखिरी बार देखने गई थी.
06 August, 2024
Bangladesh Violence: बांग्लादेश इस समय सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों और विपक्षी दलों का आंदोलन उग्र रूप ले चुका है. स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के बच्चों को आरक्षण के खिलाफ भड़की हिंसा में अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बीते दिन सेना के अल्टीमेटम बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने इस्तीफा दे दिया और अपना देश भी छोड़ दिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इसी क्रम में बांग्लादेश से निर्वासित और मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने भी बड़ा बयान दिया है.
‘पाकिस्तान नहीं बनना चाहिए बांग्लादेश’
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने 5 अगस्त को अपने ‘X’ हैंडल पर एक पोस्ट किया. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्लामवादियों को खुश करने के लिए साल 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया था. उन्होंने आगे कहा कि मैं अपनी मां को मृत्युशय्या पर आखिरी बार देखने गई के लिए बांग्लादेश में गई थी और मुझे फिर कभी मेरे देश में प्रवेश नहीं करने दिया गया. तस्लीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि अब वही इस्लामवादी छात्र उस आंदोलन में शामिल रहे हैं जिन्होंने आज शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया. मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन इससे पहले के पोस्ट में लिखा कि शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. अपनी इस स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने देश में इस्लामियों को पनपने दिया. उन्होंने अपने देश के लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने दिया. तस्लीमा नसरीन ने चिंता जताते हुए कहा कि अब बांग्लादेश को पाकिस्तान की तरह नहीं बनना चाहिए.
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बांग्लादेश में किया गया ब्लैक लिस्टेड
तस्लीमा नसरीन ने यह भी कहा कि सेना को देश पर शासन नहीं करना चाहिए. राजनीतिक दलों को देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता लानी चाहिए. बता दें कि तस्लीमा नसरीन ने साल 1993 में ‘लज्जा’ नाम की एक किताब लिखी थी. इस किताब में उन्होंने धार्मिक कट्टरपन पर करारा प्रहार किया था. बांग्लादेश में उनकी किताब को नापसंद किया गया और 6 महीनों के अंदर ही उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. कट्टरपंथी संगठनों ने उन्हें फांसी पर लटकाने की धमकी भी दी. उन्हें देश में ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया. देश के कई मौलवियों ने उनके खिलाफ फतवे जारी किए. भारत में उन्हें पनाह नहीं मिली. किसी तरह वह जान बचाकर बांग्लादेश से निकली. दिल्ली और पश्चिम बंगाल में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने यूरोप और अमेरिका में पनाह ली. हालांकि, इसके बाद साल 2004 से वह भारत में शरणार्थी बनकर रह रही हैं. बांग्लादेश में उस वक्त बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की खालिदा जिया प्रधानमंत्री थी. खालिदा जिया शेख हसीना की सरकार में जेल में बंद थी.
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