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SC पहुंचा मुंबई के कॉलेज में ‘हिजाब’ का मुद्दा, 9 छात्रों की याचिका पर होगी अहम सुनवाई

by Arsla Khan
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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुंबई के कॉलेज में 'हिजाब' का मुद्दा, 9 छात्रों की याचिका पर होगी अहम सुनवाई

Bombay HC junks plea on Hijab: कॉलेज में हिजाब और बुर्का पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले फैसले के खिलाफ छात्रों की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

06 August, 2024

Bombay HC junks plea on Hijab: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 26 जून को मुंबई के कॉलेज परिसर में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इन्कार कर दिया था. साथ ही हाई कोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज की 9 छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया था. इसमें कहा गया था कि ड्रेस कोड अनुशासन बनाए रखने के लिए है जो कॉलेज के रूल्स का एक हिस्सा है. अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इसे तत्काल सूचीबद्ध किया है.

हिजाब पर लगाया गया था बैन

शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक से उपजे हिजाब विवाद में विरोधी फैसला सुनाया. साथ ही BJP के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने वहां के स्कूलों में हिजाब पर बैन लगा दिया था. वहीं, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया था. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा था कि स्कूलों और कॉलेजों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.

फिर हुआ हिजाब पर विवाद

बॉम्बे हाई कोर्ट ने हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि ड्रेस कोड धर्म या जाति के बावजूद सभी छात्रों पर लागू होता है. साइंस डिग्री कोर्स के दूसरे और तीसरे साल में पढ़ने वाले छात्रों ने कॉलेज द्वारा जारी एक ड्रेस कोड लागू करने के निर्देश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया. इस ड्रेस कोड के मुताबिक, छात्रों को हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पहनने की अनुमति नहीं है. अब कुछ छात्रों का कहना है कि यह धर्म का पालन करने के उनके मौलिक, निजता और पसंद के अधिकारों के खिलाफ है.

अनुचित थी कॉलेज की कार्रवाई ?

हाई कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार में, निर्धारित ड्रेस कोड को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 25 के तहत दावा किए गए याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करने वाला नहीं माना जा सकता. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को भी मानने से इन्कार कर दिया था कि हिजाब, नकाब और बुर्का पहनना उनके धर्म का एक अनिवार्य अभ्यास है.

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