Hindenburg Report Madhabi Puri Buch: हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हेरफेर का आरोप लगने के बाद माधबी बुच काफी चर्चाओं में आ गई है. लेकिन उनका करियर काफी दिलचस्प रहा है और उन्होंने कई कंपनियों में विभिन्न पदों पर सेवाएं दी हैं.
11 August, 2024
Hindenburg Report Madhabi Puri Buch: अडानी ग्रुप पर वित्तीय अनियमतता के आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) ने एक बार फिर नया खुलासा किया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी का आरोपा लगाया है. वहीं, हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि इस कंपनी में गौतम अडानी के भाई विनोद अदाणी ने अरबों डॉलर का निवेश किया है. फिलहाल, सेबी प्रमुख ने इन आरोपों को निराधार बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी मामलों की जांच माधबी पुरी बुच कर रही थीं, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में उन्हें बेकसूर साबित कर दिया था. आइए जानते हैं कि माधबी पुरी बुच कौन हैं?
कौन माधबी पुरी बुच?
2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन बनी थी. इससे पहले वह कंपनी की पूर्णकालिक सदस्य रही थीं. इस दौरान वह कंपनी में मार्केट रेगुलेशन, इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और आईटी क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. वहीं, साल 2013 से 2017 तक उन्होंने न्यू डेवलपमेंट बैंक में बतौर एडवाइजर के रूप में सेवा दी. इसके बाद ही वह सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनी थीं.
IIM से किया MBA
माधबी बुच ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल और दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस मैरी स्कूल से पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से शुरू की और यहां से उन्होंने मैथमेटिक्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. माधबी ने आगे चलकर IIM अहमदाबाद से MBA पूरा किया. इसके बाद सेबी प्रमुख ने अपने करियर की शुरूआत साल 1989 में ICICI बैंक इनवेस्टमेंट बैंकर और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में की.
माधबी ने कई अहम पदों पर किया काम
बुच ने साल 1993 से लेकर 1995 तक वेस्ट चेशायर कॉलेज इंग्लैंड में अध्यापन भी कराया. इसके बाद 12 सालों तक उन्होंने विभिन्न कंपनियों में मार्केटिंग, सेल्स और प्रोडक्ट डेवलपमेंट जैसे पदों पर काम किया. एक बार फिर उनकी वापसी ICICI में हुई और उन्होंने यहां पर मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO की जिम्मेदारी संभाली. फिर वह 2011 में सिंगापुर चली गईं और यहां पर उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल एलएलपी (Greater Pacific Capital LLP) में कई पदों पर काम किया.
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