Anti-Terrorism Law : सुप्रीम कोर्ट ने UAPA और अन्य धाराओं में बंद आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि जमानत नियम है, जबकि जेल अपवाद है. यह बात कई गंभीर धाराओं में बंद आरोपियों पर भी लागू होती है.
13 August, 2024
Anti-Terrorism Law : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को आतंकवाद निरोधक कानून के तहत जेल में बंद आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि कानूनी सिद्धांत का नियम ‘जमानत देना है, जबकि जेल अपवाद है’. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह नियम विशेष कानून के तहत अपराधों पर भी लागू होता है. मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका (Justice Abhay S Oka) और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह (Augustine George Masih) की पीठ ने कहा कि अगर कोर्ट उचित मामलों में जमानत देने से मना करती है तो यह मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन होगा.
जमानत पर विचार करना कोर्ट का कर्तव्य
पीठ ने कहा कि अभियोजन के ऊपर आरोप गंभीर हो सकते हैं, लेकिन कानून के मुताबिक जमानत के मामले में विचार करना अदालत का कर्तव्य है. कोर्ट ने बताया कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. अगर कोर्ट जमानत देने से मना करती रही तो यह अनुच्छेद 21 के अधिकारों का उल्लंघन होगा. कोर्ट यह फैसले जलालुद्दीन खान नामक शख्स के मामले में सुनाया है. जलालुद्दीन पर आरोप लगा है कि प्रतिबंधित संगठन फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों को कथित तौर पर अपने मकान की दूसरी मंजिल पर रहने की अनुमति दी थी, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर उसके ऊपर UAPA और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया.
प्रधानमंत्री की रैली में माहौल बिगाड़ने का प्लान
केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक, जांच में पाया गया कि आपराधिक साजिश आतंक और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने के इरादे से आरोपियों ने फुलवारीशरीफ (पटना) में अहमद पैलेस में किराए पर आवास लिया. साथ ही परिसर का इस्तेमाल हिंसक कृत्यों को अंजाम देने और बैठकें आयोजित करने के लिए किया गया था. बिहार पुलिस को सूचना मिली थी कि साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा के दौरान अशांति फैलाने की योजना थी.
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