Gulzar Happy Birthday: पलक से पानी गिरता है, गिरने दो, कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी… गुलजार का यह शेर कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह जाता है. उनके 90वें जन्मदिन पर जानते हैं गुलजार के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
17 August, 2024
Gulzar Happy Birthday: किसी मझे हुए और हुनरमंद कलाकार की आलोचना करने का मन करे और इसके लिए शब्दों का अकाल पड़ जाए तो यह आलोचक के लिए असहज करने वाली स्थिति होती है. आलोचक में भी यह हुनर होना चाहिए कि वह अपनी लेखनी के जरिये कलाकार के उजले पक्ष के साथ उसके स्याह पक्ष का भी जिक्र करे. यही एक आलोचक की सफलता भी होती है कि वह कलाकार के दोनों पक्षों को सामने ला सके. हम यहां बात कर रहे हैं मशहूर गीतकार, शायर, पटकथा लेखक और निर्देशक संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ गुलजार की. ऐसा कलाकार जिसने अपनी कलम से वह रचा जिस पर हर भारतीय नाज कर सकता है.
गुलजार ने फूल को पहना दी चड्ढी
बच्चों के मनोविज्ञान पर गहरी पकड़ रखने वाले गुलजार ने ‘किताब’ जैसी फिल्म का निर्माण भी किया है. इस फिल्म में उन्होंने ऐसे बच्चे के मनोवैज्ञानिक पहलू को दर्शाया है, जिसकी परिस्थितियां उसे दर-दर भटकाती हैं. फिल्म की शुरुआत से अंत तक वह बच्चा दया का पात्र होता है. खैर, फिल्म के जरिये उन्होंने बच्चों के मनोविज्ञान को समझने का वह नमूना पेश किया, जिसका आज भी जमाना कायल है. याद कीजिए वह दौर, जब हर भारतीय के घर पर दूरदर्शन बड़े ही चाव से देखा जाता था. उस जमाने के सबसे हिट कार्टून शो जंगल बुक (Jungle Book) का टाइटल सॉन्ग ‘चड्डी पहन के फूल खिला है…’ इस गीत को जिसने भी सुना गुलजार साहब का मुरीद हो गया. बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी यह गाना पसंद आया. इस गाने की लोकप्रियता का आलम यह है कि आज भी लोग इसे उसी चाव से सुनते हैं और शिद्दत से सराहना करते हैं.
चड्डी शब्द पर आपत्ति
बताया जाता है कि जब गुलजार का लिखा गाना ‘ जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है…’ दूरदर्शन (Doordarshan) के अधिकारियों ने सुना तो उन्होंने गीत में ‘चड्डी’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई. वहीं, एक अधिकारी ने गुलजार को सुझाव दिया और पूछा कि क्या इस गीत में चड्डी ठीक लग रहा हैॽ सुझाव दिया कि गीत में चड्डी की जगह पैंट या लुंगी शब्द डाल दिया जाए. इस पर गुलजार साहब ने नाराजगी जताई. उन्होेंने यहां तक कह दिया कि गंदगी सोचने वाले के दिमाग में है ना कि चड्डी शब्द में. संगीतकार विशाल भारद्वाज (Vishal Bharadwaj) और गुलजार ने दूरदर्शन के अधिकारी को समझाया कि इस पंक्ति का मतलब यह है मोगली चड्डी पहने हुए है और वह दिखने में फूल की तरह लगता है. फिर भी बात नहीं बनी तो गुलजार ने दूरदर्शन से साफ-साफ कह दिया कि वह गीत में बदलाव नहीं करें. इसके बाद दूरदर्शन को चड्डी शब्द के साथ ही गाना लेना पड़ा. बाद में इस गीत ने इतिहास रच दिया.
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