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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 15 क्षेत्रीय बैंकों का होगा विलय; 43 से घटकर इतनी होगी संख्या

by Sachin Kumar
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15 regional rural banks merged number decrease 43 to 28

Rural Bank Merged : वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है, जिसके माध्यम से बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो सकती है.

05 November, 2024

Rural Bank Merged : केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो सकती है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में 15 क्षेत्रीय बैंकों का विलय किया जाएगा, जिनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल है.

वित्तीय सेवा विभाग ने लिखा पत्र

तेलंगाना के मामले में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) की परिसंपत्तियों व देनदारियों को APGVB और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच विभाजित करने के अंडर में होगा. वहीं, वित्तीय सेवा विभाग ने पब्लिक एरिया के बैंकों के प्रमुखों को भेजे गए पत्र में लिखा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के ग्रामीण विस्तार और कृषि-जलवायु या भौगोलिक प्रकृति को देखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की विशेषता यही होगी कि कम्युनिटी के साथ निकटता बनाए रखने के लिए ‘एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और ज्यादा समेकित करने की महसूस की जा रही है.

20 नवंबर तक मांगे गए सुझाव

बयान में आगे कहा गया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मिलकर खाका तैयार किया है, जिसकी सलाह पर ही आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो सकती है. इसके साथ ही वित्तीय सेवा विभाग ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक सुझाव मांगे गए हैं. केंद्र ने साल 2004-05 में आरआरबी को विलय करने की पहले की थी जिसकी वजह से तीन चरणों में विलय के माध्यम से 2020-21 तक बैंकों की संख्या घटकर 196 से घटकर 43 रह गई थी.

किसानों और मजदूरों के लिए की गई शुरूआत

बता दें कि ग्रामीण बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत की गई थी जिसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों कर्जा देने और अन्य सुविधाओं के लिए स्थापित किया था. इस अधिनियम में साल 2015 में संशोधन किया गया था जिसके तहत केंद्र और राज्य बैंकों के अलावा अन्य स्त्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई है. केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 और 15 फीसदी की हिस्सेदारी प्रायोजक और राज्य सरकारों के पास है.

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