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Kisan News: क्यों परेशान लखीमपुर खीरी के गन्ना किसान? इन दिक्कतों का करना पड़ रहा है सामना

by Live Times
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Kisan News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गन्ना किसान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. बढ़ते बकाया और भुगतान नहीं होने की वजह से कई किसान अपनी रबी फसल उगाने के लिए कर्ज में डूबते जा रहे हैं.

Kisan News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गन्ना किसान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. बढ़ते बकाया और भुगतान नहीं होने की वजह से कई किसान अपनी रबी फसल उगाने के लिए कर्ज में डूबते जा रहे हैं.

Kisan News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. इसे लेकर किसानों का दावा है कि उन्हें पिछले सीजन का भुगतान नहीं मिला है, जिससे वो बेहद परेशान हैं. किसानों के बढ़ते बकाया और सही समय पर भुगतान न होने के वजह से किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं. इसको देखते हुए कई किसान तत्काल खर्चों को पूरा करने के लिए अपनी फसल को बहुत कम कीमतों पर बेचने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं.

कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं किसान

इस कड़ी में हर्षवर्धन नाम के एक किसान ने अपनी समस्या बताते हुए कहां कि दिक्कत यह हैं कि 6-7 महीने बाद पेमेंट आता है, जिसके वजह से फसल बुआई के लिए ब्याज पर कर्ज लेना होता है. वहीं अन्य किसान ने कहा कि दिक्कतें बहुत सारी हैं, पैसों के वजह से बुआई रुक जाती हैं, डीजल नहीं ला पाते हैं, खाद नहीं समय पर आ पाती है फसल कमजोर हो जाती है और फिर सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है. किसानों का यह भी कहना है कि अपनी फसल को बेचने के लिए किसान चीनी मिलों के बाहर इंतजार करते हैं. किसानों ने भुगतान रुकने से होेने वाली परेशानियों के बारे में बताया और कहा कि पिछले साल का सारा पेमेंट बाकी है, दो महीने का और इस साल का तो अभी दिया नहीं है.

अधिकारियों ने दिया बयान

इस मामले पर बात करते हुए जिला पदाधिकारी वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि नौ चीनी मिलों में से केवल तीन पर भुगतान बकाया है. जनपद में तीन चीनी मिलें ऐसी हैं, जो बजाज ग्रुप की हैं जिनका कि लगभग 70 फीसदी तक का भुगतान हो चुका है, अभी भी विगत पिराई सत्र का 30 फीसदी भुगतान बचा है. गोला पर लगभग 175 करोड़, पलिया पर 168 करोड़ तथा 112 करोड़ खंभार खेड़ा पर अभी बाकी है, जिसके लिए शासन स्तर से बाकायदा इनको नोटिस दिए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि दबाव बनाया जा रहा है कि अति शीघ्र भुगतान करें, चूंकि ये पहले रोकड़ इकाई के रूप में थी तो इनका भुगतान पहले से ही विगत 10 सालों से बैक में चल रहा है.

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