Delhi AIIMS Maintains Vitamin D Level : दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण को देखते हुए लोगों को शरीर में विटामिन डी के लेवल को बनाए रखने की सलाह दी है.
Delhi AIIMS maintains vitamin D level: दिल्ली-NCR के साथ-साथ देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण को लेकर स्थिति बहुत खराब है. बढ़ते वायु प्रदूषण की स्थिति में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं. बुजुर्गों और बच्चों के अलावा गंभीर रूप से बीमार लोगों को कुछ ज्यादा ही दिक्कत पेश आ रही है. इस बीच दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) के विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण के बीच लोगों को शरीर में विटामिन डी के लेवल को मेंटेन रखने की जरूरत है. एम्स विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विटामिन डी का स्तर लंबे समय तक कम रहता है, तो इससे छोटा कद, हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लंगड़ी चाल और झुके हुए पैरों के साथ रिकेट्स तक हो सकता है.
डॉक्टर की सलाह पर लें विटामिन डी
यहां पर बता दें कि शरीर को विटामिन डी की बहुत जरूरत महसूस होती है. विटामिन डी दरअसल पोषक तत्वों का मजबूत जरिया है. यह केवल सूर्य की रोशनी से ही मिलता है, लेकिन प्रदूषण के कारण लोगों के शरीर को विटामिन डी मिलना काफी मुश्किल हो गया है. AIIMS में एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग में प्रोफेसर डॉ. रविंदर गोस्वामी का कहना है कि सभी उम्र वर्ग के लोग डॉक्टर की सलाह पर सर्दियों में सप्लिमेंट ले सकते हैं और ये विटामिन डी के स्तर की जांच किए बिना भी किया जा सकता है, यदि सप्लिमेंट में 60,000 आईयू कोलेकैल्सी की मात्रा हो. उन्होंने यह भी बताया कि विषाक्तता के जोखिम के कारण विटामिन डी एनालॉग्स और इंजेक्टेबल्स से बचना चाहिए.
कामकाजी महिलाओं में विटामिन डी की स्थिति ठीक
डॉ. रविंदर गोस्वामी ने बताया कि विभाग में किए गए अध्ययन से पता चला है कि बाहर काम करने वाले दिल्लीवासियों में विटामिन डी की स्थिति सामान्य है. उन्होंने जोर देकर कहा कि घर के अंदर काम करने वालों में विटामिन डी की कमी पाई गई जब तक कि वे सप्लिमेंट नहीं ले रहे हों. यूं भी घर के अंदर सूर्य की रोशनी का जाना नामुमकिन होता है. भारत में कौन-कौन लोग वीडीडी के प्रति संवेदनशील हैं? इस सवाल के जवाब में डॉ. रविंदर गोस्वामी ने कहा कि जो लोग दफ्तर और बेंच कर्मचारियों के रूप में घर के अंदर रहते हैं. इसके अलावा गुर्दे के बीमारियों, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार, टीबी और मिर्गी के रोगी इसके प्रति संवेदनशील होते हैं.
विटामिन डी की कमी से होती हैं ये दिक्कतें
- बालों का झड़ना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- भूख में कमी
- अधिक आसानी से बीमार पड़ना
- पीली त्वचा
- थकान
- अच्छी नींद न आना
- हड्डी में दर्द या पीड़ा
- अवसाद या उदासी की भावना
कहां से मिलता है ?
- वसायुक्त मछलियां जैसे सैल्मन, ट्राउट, टूना और मैकेरल
- डिब्बाबंद मछलियां जैसे हेरिंग और सार्डिन
- अंडे
- गोमांस जिगर
- मछली का जिगर
- नाश्ता का अनाज
- दूध
- बादाम दूध
- सोय दूध
- संतरे का रस
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