Introduction
Devendra Fadnavis Biography: महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस बतौर मुख्यमंत्री अगले 5 साल तक राज्य की जनता की सेवा करने के लिए तैयार हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पूर्ण बहुमत की सरकार है, इसलिए 5 साल तक उन पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आएगा. कहा भी जाता है कि देवेंद्र फडणवीस के बिना महाराष्ट्र की राजनीति में अधूरापन है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद के साथ-साथ नरेन्द्र मोदी के चहेते देवेंद्र फडणवीस को करिश्माई नेता के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे कई मौके आए जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए और फिर ना चाहते हुए भी उपमुख्यमंत्री के पद को उन्हें स्वीकार करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी के अनुशासित सिपाही की तरह उन्होंने खून का हर घूंट पी लिया.
महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में शुमार देवेंद्र फडणवीस का एक बयान सोशल मीडिया पर अक्सर छाया रहता है, जो उन्होंने साल 2019 में दिया था. उन्होंने कहा था- ‘ मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा !’ साल 2014 में देवेंद्र फडणवीस पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद वर्ष 2019 में वह सिर्फ 80 घंटे तक सीएम रहे और अब तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. एक सच यह भी है कि फिलहाल महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी या फिर महागठबंधन के पास देवेंद्र फडणवीस जैसी ताकत का कोई और नेता नहीं है. इस स्टोरी में हम देवेन्द्र फडणवीस के बारे में विस्तार से बता रहे हैं कि उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कैसे शुरू किया? कौन उन्हें राजनीति में लाया या फिर वह कौन सा खास हुनर है, जिसकी वजह से देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में अहम किरदार बने रहेंगे.
Table Of Content
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद भी हैं देवेंद्र फडणवीस
- 3 दशक से हैं राजनीति में सक्रिय
- अभाविप से सीखे राजनीति के गुर
- नितिन गडकरी की अंगुली पकड़कर सीखी राजनीति
- 2013 में बने महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष
- इंदिरा गांधी के विरोध में छोड़ा स्कूल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद भी हैं देवेंद्र
अपने तीखे और मीठे राजनीतिक बयानों के लिए मशहूर देवेंद्र फडणवीस पर नागपुर (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) हमेशा मेहरबान रहा है. उनकी गिनती भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेताओं में होती है. उन्हें भाजपा ने हमेशा तरजीह दी है. यही वजह है कि महाराष्ट्र में एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे, पीयूष गोयल, हंसराज गंगाराम अहिर, दानवे रावसाहेब पाटिल, चन्द्रशेखर बावनकुले, गिरीश महाजन, आशीष शेलार, रवीन्द्र चव्हाण, अतुल बचाओ, सुधीर मुनगंटीवार, नितेश राणे, गणेश नाइक, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर, शिवेंद्रराज भोसले, गोपीचंद पडलकर, माधुरी मिसाल, राधाकृष्ण विखे पाटिल और जयकुमार रावल पर आखिरकार देवेंद्र फडणवीस भारी पड़े. इन सबके ऊपर वह आरएसएस की भी पसंद हैं. देवेंद्र फडणवीस का रिश्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी बहुत अच्छा है. नागपुर के रहने वाले देवेंद्र फडणवीस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वफादार माना जाता है. यह उनके लिए हमेशा अच्छा पक्ष साबित हुआ.
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इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2014 के बाद भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व मोदी-शाह के हाथ में था न कि नितिन गडकरी के पास. यही वजह है कि नितिन गडकरी के स्थान पर हमेशा ही देवेंद्र फडणवीस को तरजीह दी गई. इसके अलावा नरेन्द्र मोदी के साथ उनके संबंधों की बात करें दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करते हैं. नरेन्द्र मोदी को देवेंद्र फडणवीस की कार्यप्रणाली खूब पसंद है. सार्वजनिक मंचों और मुलाकातों में भी दोनों को कई बार गुफ्तगू करते देखा जा चुका है. वहीं, जब महाराष्ट्र में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से आरे के बीच मुंबई मेट्रो लाइन 3 का मुद्दा गरमाया और समाजसेवियों ने मोर्चा खोला तो नरेन्द्र मोदी भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस के साथ हमेशा ही खड़े रहे.
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3 दशक से हैं राजनीति में सक्रिय
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की धुरी बन चुके देवेन्द्र फडणवीस 30 साल से भी अधिक समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. अगर महाराष्ट्र भाजपा के अन्य नेताओं की बात करें तो देवेन्द्र फडणवीस ने बेहद कम उम्र में करियर शुरू किया. 22 जुलाई, 1970 को नागपुर (महाराष्ट्र) में जन्मे देवेंद्र फडणवीस छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. यही वजह है कि उन पर भाजपा आलाकमान की नजर गई.
तेजतर्रार देवेंद्र फडणवीस ने समकालीन भाजपा नेताओं की तुलना में पहले कई पद हासिल किए. इनमें कई दिग्गज भाजपा नेता शामिल हैं, जिन्होंने उनके साथ ही राजनीति शुरू की. बेशक वह एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं. पहली गठबंधन सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रहीं शोभाताई फडणवीस, देवेंद्र फडणवीस की चाची हैं. इसके अलावा, देवेन्द्र फडणवीस के पिता गंगाधर फडणवीस महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में शुमार थे. गंगाधर कई वर्षों तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे. जब गंगाधर का देहांत हुआ तब देवेन्द्र फडणवीस की उम्र सिर्फ 17 वर्ष थी. यह जानकारी बहुत कम लोगों को है कि गंगाधर फडणवीस के निधन के बाद खाली हुई विधान परिषद सीट पर नितिन गडकरी निर्वाचित हुए.
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अभाविप से सीखे राजनीति के गुर
पिता गंगाधर फडणवीस राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन उनके देहांत ने देवेन्द्र फडणवीस को तोड़ दिया. राजनीति खून में थी, इसलिए छात्र जीवन से ही वह इसमें सक्रिय हो गए थे. बावजूद इसके देवेंद्र फडणवीस का राजनीति में प्रवेश अन्य नेताओं की तुलना में आसान था, लेकिन राजनीति में उनकी यात्रा कठिन रही है. यह अलग बात है कि अधिकतर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की तरह ही देवेंद्र ने भी अपने छात्र जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर की. अच्छी बात यह है कि नितिन गडकरी ने राजनीति में जूनियर देवेन्द्र फडणवीस को भरपूर संबल दिया.
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देवेंद्र भी नितिन गडकरी के नेतृत्व में राजनीति में सक्रिय हो गए. इसके बाद वर्ष 1992 में वह पहली बार नागपुर नगर निगम में पार्षद बने तब उनकी उम्र सिर्फ 22 वर्ष की थी. सही मायनों में देवेंद्र की सक्रिय राजनीति में शुरुआत भी तभी हुई. यह भी कम बड़ी बात नहीं कि वर्ष 2014 में सिर्फ 44 साल की उम्र में देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शरद पवार के बाद देवेन्द्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा सीएम बने हैं. इससे पहले वर्ष 1978 में 38 साल की उम्र में शरद पवार ने सबसे युवा मुख्यमंत्री की शपथ ली थी.
नितिन गडकरी की अंगुली पकड़कर सीखी राजनीति
नागपुर नगर निगम में साल 1992 के चुनाव में देवेन्द्र फडणवीस पार्षद चुने गए. यह चुनाव भी 1989 में होना था. उस दौरान देवेन्द्र फडणवीस की उम्र भी चुनाव लड़ने की नहीं थी. यह महज इत्तेफाक है कि नागपुर नगर निगम का युह चुनाव 1992 में हुआ और पहली बार देवेन्द्र फडणवीस पार्षद बने. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस जल्द ही नागपुर नगर निगम के मेयर भी बन गए. हालांकि, यह उनका राजनीतिक ठहराव या फिर लक्ष्य नहीं था. दरअसल, देवेन्द्र फडणवीस का लक्ष्य इससे कहीं बड़ा था.
वह लगातार प्रयास करते रहे और वर्ष 1999 में जब शिवसेना-भाजपा गठबंधन की हार हुई तो देवेन्द्र फडणवीस पहली बार विधानसभा पहुंचे. कहा जाता है कि जब देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, तब नितिन गडकरी नागपुर और विदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता थे. नितिन गडकरी को पूरे महाराष्ट्र में सम्मान के नजरिये से देखा जाता था. यह भी सच है कि देवेन्द्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की राजनीति में नितिन गडकरी की अंगुली पकड़कर चलना शुरू किया और राज्य के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे. यहां पर बता दें कि 2024 के हलफनामे के मुताबिक, देवेंद्र की कुल संपत्ति 13 करोड़ से अधिक की है.
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2013 में बने महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष
इसमें कोई शक नहीं है कि देवेन्द्र फडणवीस ने भाजपा के दिग्गज नेता नितिन गडकरी का हाथ थामकर राजनीति का सफर शुरू किया. वैसे कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई या अस्थाई नहीं रहता है. ऐसा ही हुआ देवेंद्र फडणवीस के साथ. महाराष्ट्र की राजनीति में कई तरह के बदलाव आए. ऐसे में महाराष्ट्र भाजपा में बनते, बदलते और बिगड़ते समीकरणों के दौर में देवेन्द्र फडणवीस ने कुछ सालों के बाद नितिन गडकरी का साथ छोड़ दिया और गोपीनाथ मुंडे का हाथ थाम लिया. गोपीनाथ महाराष्ट्र की राजनीति में धाकड़ और दिग्गज नेता थे.
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इससे भी अधिक वह अन्य पिछड़े वर्ग से आते थे जो भाजपा के लिए बहुत जरूरी थे. देवेन्द्र फडणवीस ने गोपीनाथ मुंडे का हाथ थामा तो यह अच्छा ही रहा. इसी ग्रुप के साथ रहकर देवेन्द्र फडणवीस वर्ष 2013 में महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष का पद पाने में कामयाब रहे. यह एक तरह से देवेन्द्र फडणवीस के लिए महाराष्ट्र की राजनीति में टर्निंग प्वाइंट था. इसके बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री और फिर मुख्यमंत्री का पद संभाला. हैरत की बात यह भी है कि वर्ष 2022 में एकनाथ शिंदे ने जब शिवसेना से बगावत की तो बुझे मन से देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद संभालना पड़ा.
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बताया जाता है कि देवेन्द्र फडणवीस नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के कहने पर महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 2 साल तक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में काम किया. इसमें एक मोड़ और था कि नए गठबंधन में भी सत्ता का केंद्र बने रहे शिवसेना के टूटने के कुछ महीनों बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विभाजन हुआ. नंबर दो के नेता अजित पवार इस गठबंधन में शामिल हो गए. अब फडणवीस को अपनी ही सरकार में एक और प्रतिद्वंद्वी मिल गया यानी दो-दो उपमुख्यमंत्री. इसके बाद देवेन्द्र फडणवीस लगातार 2 साल चुप रहे और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की जमीन तैयार करते रहे. सबसे अच्छी और सकारात्मक बात यह है कि देवेंद्र पर भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं का भरोसा था. खासतौर से अमित शाह और नरेन्द्र मोदी हमेशा ही देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में रहे.
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इंदिरा गांधी के विरोध में छोड़ दिया स्कूल
देवेंद्र फडणवीस की शुरुआती पढ़ाई इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल से हुई है, लेकिन इससे जुड़ा रोचक किस्सा भी है. जिसे खुद कई बार देवेंद्र फडणवीस सुना चुके हैं. इसके साथ उनके दोस्त भी इसके गवाह हैं. हुआ यह है कि वर्ष 1977 में इंदिरा गांधी ने देशभर में आपातकाल लगा दिया था. इस दौरान देवेंद्र के पिता गंगाधर राव को गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे नाराज देवेंद्र फडणवीस ने अनोखे अंदाज में इस गिरफ्तारी का विरोध किया. उन्होंने विरोध स्वरूप इंदिरा गांधी के नाम वाले इस स्कूल से अपना नाम ही कटवा लिया. सही मायनों में गलत का विरोध देवेंद्र फडणवीस हमेशा ही करते रहे हैं. राजनीति में भी वह अपनी बात मुखर तरीके से रखने और विरोधियों पर कटाक्ष करने के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महाराष्ट्र में पहली पसंद देवेन्द्र फडणवीस ही हैं.
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80 घंटे का सीएम
यह दुर्भाग्य ही है कि वर्ष 2019 में देवेंद्र फडणवीस ने दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन अजित पवार के सहयोग से बनी यह सरकार सिर्फ 80 घंटों में ही गिर गई. वैसे, देवेन्द्र फडणवीस बजट पर एक किताब भी लिख चुके हैं. देवेंद्र फडणवीस की पत्नी का नाम अमृता है. मिली जानकारी के अनुसार, दोनों की पहली मुलाकात वर्ष 2005 में हुई थी.
यह जानकर लोगों को हैरानी होगी कि पत्नी अमृता को खाली समय में देवेंद्र से गाना सुनना पसंद है. कुल मिलाकर देवेन्द्र फडणवीस गाना भी गाते हैं. शादी के बाद दोनों की एक बेटी भी है. कम ही लोग जानते हैं कि देवेंद्र फडणवीस मॉडलिंग भी कर चुके हैं. वर्ष 2006 में नागपुर के चौराहों पर लगी उनकी मॉडलिंग की तस्वीरें भी खूब चर्चा में रही थीं. होर्डिंग्स और बैनरों में लगी फोटो देवेंद्र फडणवीस की थी. दरअसल, फोटोग्राफर विवेक रानाडे ने ही देवेंद्र को मॉडलिंग के प्रति प्रेरित किया और मनाया. खास बात यह है कि अटल बिहारी वाजपेयी भी उन्हें मॉडल विधायक कहकर बुलाते थे.
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महाराष्ट्र चुनाव में दिखा देवेंद्र का कमाल
गौरतलब है कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ. 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आए तो चमत्कार हो गया. नतीजों में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल किया. कुछ अन्य छोटे सहयोगियों को मिलाकर महायुति ने राज्य की 288 सीटों में से 234 पर जीत हासिल की. इस गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी को 132 सीटों पर जीत मिलीं. भाजपा का प्रदर्शन इस मायने में खास रहा कि इस चुनावों में सिर्फ 149 सीटों पर लड़ी और 132 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, शिवसेना शिंदे गुट को 57 सीटों पर और एनसीपी अजित गुट को 41 सीटों पर जीत हासिल हुई. विपक्ष की बात करें महा विकास अघाड़ी को 46 सीटें मिलीं. इसमें एनसीपी (शरदचंद्र पवार) गुट को 10 सीट जीतीं, कांग्रेस को 16 सीट और शिवसेना (उद्धव गुट) को 20 सीट पर जीत मिली. भाजपा के प्रदर्शन का श्रेय देवेंद्र फडणवीस को जाता है.
Conclusion
महाराष्ट्र की राजनीति में देवेन्द्र फडणवीस वह किरदार हैं, जिसके बिना भारतीय जनता पार्टी सफल नहीं हो सकती. बजट पर एक किताब भी लिख चुके देवेंद्र फडणवीस ने अपनी कड़ी मेहनत से महाराष्ट्र की राजनीति में जगह बनाई है. हिंदू मुद्दों को लेकर लगातार मुखर रहे देवेन्द्र को हार्ड कोर हिंदू नेता के रूप में जाना जाता है. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी उन्हें बहुत पसंद करता है. आने वाले कुछ सालों में अगर वह केंद्रीय राजनीति में सक्रिय नजर आए तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी. यह कयास ही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी फिलहाल देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र में खुलकर खेलने देना चाहती है.
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