Home RegionalUttarakhand Youngest Body Donor of World: देहरादून में ढाई दिन की बच्ची का हुआ देहदान, जानिए कौन है दुनिया की सबसे छोटी डोनर ?

Youngest Body Donor of World: देहरादून में ढाई दिन की बच्ची का हुआ देहदान, जानिए कौन है दुनिया की सबसे छोटी डोनर ?

by Pooja Attri
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Youngest Body Donor of World: देहरादून में ढाई दिन की बच्ची का हुआ देहदान, जानिए कौन है दुनिया की सबसे छोटी डोनर ?

Youngest Body Donor of World: हरिद्वार के पथरी गांव में रहने वाले राम मेहर कश्यप और नैंसी कश्यप को ऐसे हालात से गुजरना पड़ा, जिसका सामना दुनिया के कोई मां-बाप कभी नहीं करना चाहेंगे.

14 December, 2024

Youngest Body Donor of World: उत्तराखंड के हरिद्वार से एक बेहद भावुक करने वाला मामला सामने आया है. हरिद्वार के पथरी गांव में रहने वाले राम मेहर कश्यप और नैंसी कश्यप को ऐसे हालात से गुजरना पड़ा, जिसका सामना दुनिया के कोई मां-बाप कभी नहीं करना चाहेंगे. बता दें कि नैंसी कश्यप ने देहरादून के सरकारी दून मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया था, जिसका जन्म के मात्र ढाई दिन के बाद ही देहांत हो गया. ऐसा दिल से जुड़ी गंभीर दिक्कतों की वजह से हुआ.

कब हुआ नवजात का देहांत ?

आपको बता दें कि अस्पताल में बच्ची के जन्म लेने के तुरंत बाद ही उसे नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में एडमिट कराया गया. हालांकि, बच्ची को बचाने की डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी 10 दिसंबर को उसकी मौत हो गई. इसके बाद दुनिया के सामने नवजात के मां-बाप ने एक अनूठी मिसाल पेश की. उन्होंने अपनी बेटी के मृत शरीर को दून मेडिकल कॉलेज को दान करने का फैसला लिया.

मां-बाप ने पेश की एक अनूठी मिसाल

माता-पिता ने यह फैसला मोहन फाउंडेशन और दधीचि देहदान समिति से प्रोत्साहित होकर लिया और बेटी के शरीर को चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा के लिए दान कर दिया. बता दें कि प्रतीकात्मक रूप से उसका नाम ‘सरस्वती’ रखा गया, क्योंकि देहदान के वक्त बच्ची का नाम नहीं बताया गया था. माता-पिता द्वारा ऐसा करना चिकित्सा शिक्षा और पढ़ाई में उसके स्थायी योगदान को दर्शाता है.

देश की सबसे छोटी देहदाता

इस बारे में डॉक्टरों ने दावा किया है कि ‘सरस्वती’ की बॉडी के इस दान से वह देश की सबसे छोटी देहदाता बन गई हैं. आपको बता दें कि देश की सबसे छोटी देहदाता ‘सरस्वती’ की देह का उपयोग अस्पताल का एनाटॉमी विभाग अनुसंधान और शैक्षिक उद्देश्य से किया जाएगा, जिसका लाभ मेडिकल छात्रों की भावी पीढ़ियों को मिलेगा.

यह भी पढ़ें: Uttarkashi Mosque Dispute: हिंदू संगठनों की ‘महापंचायत’ से पहले उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में बढ़ी सुरक्षा

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