Home National मुफ्त की रेवड़ी पड़ी महंगी! राज्य सरकारों की बढ़ सकती हैं मुसीबतें, RBI ने रिपोर्ट में दी चेतावनी

मुफ्त की रेवड़ी पड़ी महंगी! राज्य सरकारों की बढ़ सकती हैं मुसीबतें, RBI ने रिपोर्ट में दी चेतावनी

by Divyansh Sharma
0 comment
Freebies, RBI, Report

RBI Report On States Freebies: RBI की ओर से गुरुवार को ‘राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का अध्ययन’ नाम की एक रिपोर्ट में मुफ्त की रेवड़ी को लेकर चेतावनी दी गई.

RBI Report On States Freebies: RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से राज्य सरकारों की ओर से मुफ्त की रेवड़ी बांटने पर बहुत बड़ी रिपोर्ट सामने आई है. फ्रीबीज यानी मुफ्त उपहार देने से सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के साथ ही महत्वपूर्ण संसाधनों पर गंभीर असर पड़ सकता है. इसमें कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली और फ्री परिवहन जैसे वादे शामिल हैं.

सब्सिडी पर हो रहे खर्चे सबसे ज्यादा

दरअसल, RBI की ओर से गुरुवार को ‘राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का अध्ययन’ नाम की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई राज्यों ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अपने बजट में कृषि ऋण माफी, कृषि और घरों को मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को वित्तीय सहायता जैसी सब्सिडी से संबंधित कई रियायतों की घोषणा की है.

इस तरह के खर्चों से राज्य के पास मौजूद संसाधन खत्म हो सकते हैं और महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की सरकारों की क्षमता बाधित हो सकती है. रिपोर्ट में बताया गया कि सब्सिडी पर हो रहे खर्चे सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में सभी राज्यों की सरकारों को अपनी सब्सिडी के खर्चे पर फिर से विचार करने और तर्कसंगत बनाने की बड़ी आवश्यकता है. इस तरह के खर्चों की वजह से अधिक प्रोडक्ट प्रभावित न हो.

यह भी पढ़ें: नोट उड़ाए, फाड़ा लोकपाल बिल; पढ़ें संसद में हुए वो बवाल जिन्होंने लोकतंत्र के मंदिर को किया शर्मसार

बिजली वितरण कंपनियों पर बढ़ा बोझ

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि DISCOMs यानी सरकारी स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों की कमजोर होती वित्तीय स्थिति राज्य सरकार के वित्त के लिए एक चुनौती बनी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक कई प्रयासों के बाद भी DISCOMs का कुल बकाया ऋण वित्त वर्ष 2016-17 से 8.7 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 4.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.8 लाख करोड़ रुपये हो गया.

गौरतलब है कि यह बकाया राशि देश की GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत है. हालांकि, RBI ने बताया कि राज्य सरकारों ने 2021-22 से 2023-24 तक अपने पूरे सकल राजकोषीय घाटे को GDP के 3 फीसदी के भीतर रखकर सराहनीय प्रगति की है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे राज्यों को अपने व्यय को बढ़ाने तथा व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली है.

यह भी पढ़ें: किसान नेता डल्लेवाल को लेकर SC सख्त, पंजाब सरकार की लगाई क्लास! पूछा अब तक क्या किया

Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube Instagram

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00