Introduction Of Donald Trump Tariff War
Donald Trump Tariff War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वह मैक्सिको और कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसदी और चीन से आयातित वस्तुओं पर 10 फीसदी का भारी और नया टैरिफ लगाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि तीनों देश उन्हें रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले एक सप्ताह से धमकी दे रहे हैं कि वह टैरिफ 1 फरवरी से लागू कर दिए जाएंगे.
Table Of Content
- क्या है Tariff War या Trade War ?
- Tariff War का पहला शिकार
- चीन के साथ Tariff War
- कनाडा-मैक्सिको के साथ Tariff War
- Tariff War की सबसे बड़ी वजह है फेंटेनाइल
- Tariff War का भारत पर असर
साथ ही उन्होंने कहा है कि यह टैरिफ तब तक के लिए लागू रहेंगे, जब तक कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों फेंटेनाइल की तस्करी को पूरी तरह से न रोक दिया जाए. वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले भारत को भी अमेरिका में नुकसान पहुंचाने वाले देशों में शामिल किया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि Tariff War क्या है और इससे कनाडा, मैक्सिको और चीन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप की इस लड़ाई से भारत कितना प्रभावित होगा. बता दें कि Tariff War में कोलंबिया का सबसे पहले खून बहा था.
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क्या है Tariff War या Trade War ?
पिछले साल अमेरिका के चुनाव में Tariff War का मुद्दा सबसे अहम था. चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका में सभी इंपोर्ट पर 10 से 20 फीसदी का टैरिफ लगाया जाएगा. वहीं, कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ तथा चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव रखा था.
आसान शब्दों में कहें तो टैरिफ इंपोर्ट या विदेशी वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक तरह का कर है. विदेश से सामान आयात करने वाली अमेरिकी कंपनियां उन्हें इन करों का भुगतान करती हैं. उदाहरण के लिए अगर कोई अमेरिकी कार कंपनी मैक्सिको से कोई पार्ट इंपोर्ट करती है, तो उसे अमेरिका तक लाने के लिए टैरिफ का भुगतान करना होगा.
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एक दिन पहले व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैक्सिको, कनाडा और चीन पर हाई टैरिफ लगाने के पीछे कई कारण थे. पहला कारण यह है कि अमेरिका में बहुत अधिक संख्या में लोग आ रहे हैं. दूसरा कारण यह है कि देश में ड्रग्स और फेंटेनाइल समेत कई चीजें आ रही हैं और तीसरा कारण यह है कि घाटे के बाद भी अमेरिका कनाडा और मैक्सिको को भारी सब्सिडी दे रहा है. डोनाल्ड ट्रंप के इस एलान के बाद माना जा रहा है कि पूरी दुनिया में Tariff War या ट्रेड वॉर की शुरुआत हो सकती है. बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय देशों पर भी नए टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है.
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Tariff War का पहला शिकार
Tariff War का पहला शिकार कोलंबिया बना है. अवैध कोलंबियाई नागरिकों को अमेरिका से निकालने पर इन्कार करते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया को निशाना बनाया. अमेरिका ने कोलंबियाई आयात पर 25 प्रतिशत लगाया गया था. अवैध कोलंबियाई नागरिकों के अमेरिका से न निकालने की स्थिति में डोनाल्ड ट्रंप ने इस टैरिफ को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया.
इससे बाद कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से निकाले गए अवैध अप्रवासियों को देश में लाने का फैसला किया. बता दें कि उन्होंने अवैध अप्रवासियों को लेकर आ रहे दो अमेरिकी सैन्य विमानों के देश में लैंड नहीं होने दिया था. ऐसे में पहला टैरिउ उनपर ही लगा. बता दें कि कोलंबिया अमेरिका को लगभग 16 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. ऐसे में कोलंबियाई राष्ट्रपति डर गए थे. साथ ही माना जा रहा है कि Tariff War की पहली लड़ाई में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई है.
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चीन के साथ Tariff War
साल 2017 में डोनाल्ड ट्रंप पहली बार सत्ता में आए थे. सत्ता में आते ही उन्होंने चीनी कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अमेरिका के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ने साल 2018 में एक रिपोर्ट डोनाल्ड ट्रंप को सौंपी थी. इसमें दावा गया कि चीन कंपनियां अमेरिका में अनुचित तरीके से व्यापार कर रही हैं.
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इसके बाद साल 2018 के मार्च महीने में डोनाल्ड ट्रंप चीन से आयात किए जाने वाले 60 बिलियन डॉलर तक के उत्पादों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की. बाद में 50 बिलियन डॉलर मूल्य के चीनी प्रोडक्ट की भी लिस्ट जारी की, जिन पर 25 प्रतिशत का नया टैरिफ लगाया गया. अमेरिकी थिंक टैंक टैक्स फाउंडेशन के मुताबिक चीन पर उन्होंने धारा 301 के तहत कई बार टैरिफ लगाया.
वर्तमान में चीन पर धारा 301 के तहत लगाए गए टैरिफ 79 बिलियन डॉलर के टैरिफ में से 77 बिलियन डॉलर के बराबर हैं. जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर हाई टैरिफ लगाया है. वर्तमान में अमेरिकी सामानों पर लगभग 11.6 बिलियन डॉलर का अनुमानित कर लगाया गया है. ऐसे में तय माना जा रहा है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाया, तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी जवाबी कार्रवाई यानि Tariff War शुरू कर सकते हैं.
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कनाडा-मैक्सिको के साथ Tariff War
साल 2018 में टैरिफ हटाने के बाद साल 2020 के अगस्त महीने में डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया कि अमेरिका फिर से एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ फिर लागू कर रहा है. एलान के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एल्युमीनियम के इंपोर्ट पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था. हालांकि, इसे एक महीने बाद ही खत्म कर दिया गया था. हालांकि, कुछ टैरिफ कनाडा पर जारी रहा.
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वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने साफ कर दिया है कि Tariff War अमेरिका के लिए विनाशकारी परिणाम ला सकते हैं, जिससे कई अमेरिकी लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी और कीमतें बढ़ेंगी. इस दौरान जस्टिन ट्रूडो ने दोहराया कि अमेरिका में फेंटेनाइल और अवैध सीमा पार करने का 1 फीसदी से भी कम हिस्सा कनाडा से आता है.
अमेरिकी थिंक टैंक टैक्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की ओर से कनाडा पर 79 बिलियन डॉलर के बिजनेस में से 2.7 बिलियन डॉलर टैरिफ है. वहीं, एल्युमीनियम टैरिफ के खिलाफ वर्तमान प्रतिशोध में 6 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के अमेरिकी उत्पादों पर लगभग 1.6 बिलियन डॉलर का अनुमानित टैरिफ कनाडा ने लगाया है.
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने पांच साल पहले मैक्सिको और कनाडा पर USMCA यानि संयुक्त राज्य अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा समझौता करने दबाव डाला था, जिससे अमेरिका के बड़े व्यापार घाटे को कम करना था. अब माना जा रहा है कि इसी दबाव को फिर से बनाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने Tariff War शुरू करने की घोषणा की है.
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Tariff War की सबसे बड़ी वजह है फेंटेनाइल
गौरतलब है कि अमेरिका में फेंटेनाइल के ओवरडोज से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. फेंटेनाइल एक तरह से सिंथेटिक पदार्थ है, जिसे प्रयोगशाला में आसानी से और सस्ते में बनाया जा सकता है. फेंटेनाइल एक तरह की दवा है, जिसे साल 1960 से ही कैंसर, दूसरी बीमारियों और दर्द के इलाज में दिया जाता है. अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि फेंटेनाइल अब दवा नहीं, बल्कि ड्रग कार्टेल बन चुका है.
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ड्रग डीलर तेजी से फेंटेनाइल को सभी तरह की दवाओं में मिला कर नशे का सौदा कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि चीन, कनाडा और मैक्सिको में बैठे नशे के सौदागर अमेरिकी लोगों को निशाना बना रहे हैं. ऐसे में उन्होंने इन देशों पर टैरिफ लगाने का वादा किया था. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि इन देशों से अवैध प्रवासी अमेरिका में बढ़ रहे हैं. ऐसे में Tariff War के जरिए वह इन समस्याओं को दूर करना चाहते हैं.
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Tariff War का भारत पर असर
RIS यानि विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली ने इस मामले पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी अमेरिका फर्स्ट नीति पर अडिग हैं. ऐसे में भारत को अमेरिका के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ रखने पर जोर दिया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको, कनाडा और चीन पर ज्यादा कड़ा रुख अपना सकते हैं, क्योंकि इन देशों की वजह से अमेरिका को हर साल लगभग 40 प्रतिशत तक का घाटा होता है. फिर भी भारत को Tariff War से लड़ने के लिए तेजी से योजना बनाने की आवश्यकता हो सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत अमेरिका को फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण के साथ मछली इक्सपोर्ट करता है, जो डोनाल्ड ट्रंप के लिए आसान लक्ष्य हो सकते हैं. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि यह मौका भारत के लिए एक अवसर भी हो सकता है. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत पर ज्यादा टैरिफ थोप सकते हैं, क्योंकि भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस ज्यादा है. वर्तमान में अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस 33.8 अरब डॉलर के आसपास है. साल 2021 में अमेरिका के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार सरप्लस में लगातार बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में भारत को सतर्क रहना चाहिए.
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Conclusion Of Donald Trump Tariff War
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वह चीन, कनाडा और मैक्सिको पर वह टैरिफ लगाएंगे. बता दें कि अमेरिका के इस फैसले से खाद्य पदार्थों, ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही दावा किया जा रहा है कि गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कनाडा और मैक्सिको अमेरिका के कच्चे तेल के आयात का 70% हिस्सा हैं. ऐसे में जवाबी कार्रवाई में अमेरिका को बड़ा नुकसान हो सकता है.
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात को स्वीकार किया है कि टैरिफ की वजह से उपभोक्ताओं पर अधिक लागत का बोझ पड़ सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि इन फैसलों से कुछ समय के लिए व्यवधान उत्पन्न हो सकता है. वहीं, अधिकांश अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस तरह के Tariff War और प्रतिशोध से दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां बाधित होंगी.
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को भी उन देशों की लिस्ट में डाला है, जिनके हाई टैरिफ से अमेरिका को नुकसान हो रहा है. भारत के साथ ही इस लिस्ट में ब्राजील भी शामिल है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही BRICS देशों पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने की बात कही है.
हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि था कि अवैध अप्रवासियों के मामले में भारतीय सरकार सेचर्चा चल रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मामले में सही कदम उठाएंगे. भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति को अमेरिकी राष्ट्रवादी बताया है और कहा कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते को मजबूत हैं. अमेरिका भारत के लिए दोस्त है या खतरा वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि भाई हाल में हम उनके मेहमान बनके आए हैं. हम उनके शपथ ग्रहण में गए थे और अच्छा ट्रीटमेंट दिया हमको. उसी का अपना मैसेज होता है न! साथ ही कहा कि नरेन्द्र मोदी के डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यक्तिगत संबंध हैं.
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