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48 घंटे से ज्यादा का समय बीता, फिर भी SLBC टनल में फंसे कर्मचारियों से नहीं हुआ संपर्क, जानें हालात

by Divyansh Sharma
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Telangana SLBC Tunnel Collapse Latest Update: 48 घंटे से ज्यादा समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान में कोई सफलता नहीं मिली.

Telangana Tunnel Collapse Latest Update: तेलंगाना के नागरकुरनूल में SLBC यानि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल सुरंग हादसे में 8 कर्मचारी फंसे हुए हैं. 48 घंटे से ज्यादा समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. सेना, NDRF, गरुड़, SDRF, सिंगरेनी कोलियरीज और हैदराबाद की कई टीमें मौके पर राहत कार्य में जुटी हैं, फिर भी फंसे हुए 8 कर्मचारियों से संपर्क नहीं हो पाया है.

कार्य के दौरान ढहा सुरंग का एक हिस्सा

दरअसल, 22 फरवरी को SLBC यानि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल प्रोजेक्ट के लिए बनाए जा रहे सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. हादसे के दौरान 8 कर्मचारी फंस गए. उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सोमवार को तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा. सुरंग में बचाव कार्य में जुटे अधिकारियों ने बताया कि फंसे हुए लोगों से संपर्क स्थापित करने में परेशानी हो रही है.

राहत कार्य में जुटी टीमें फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं. अभियान की देखरेख कर रहे तेलंगाना के मंत्री कोमातिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने उम्मीद जताई है कि फंसे हुए लोग जल्द बाहर आ जाएंगे. उन्होंने बताया कि पूरा प्रशासन बचाव अभियान में अथक प्रयास कर रहा है.

एक अधिकारी ने बताया कि मलबे और जलभराव वाले हिस्सों को साफ करने में काफी परेशानी हो रही है. सुरंग में 50 मीटर पानी और कीचड़ भरा हुआ है. बचाव दल की ओर से इसे पार करना असंभव सा हो गया है. ऑपरेशन के लिए वैज्ञानिकों की टीम भी तैनात है. हादसे में बच कर बाहर आए मजदूरों ने बताया कि हमने देखा कि सुरंग के एक हिस्से के पास पानी लीक हो रहा था. अचानक, एक मिनट के भीतर पूरा पहाड़ ढह गया.

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साल 1980 में की गई थी परिकल्पना

जानकारी के मुताबिक SLBC प्रोजेक्ट की पहली योजना साल 1980 में लाई गई थी. इसके बाद साल 1990 में आंध्र प्रदेश (हैदराबाद तब आंध्र प्रदेश का हिस्सा था) सरकार ने विदेशी तकनीक के जरिए श्रीशैलम जलाशय के तट से कृष्णा नदी का जल खींचने के लिए एक सुरंग बनाने की योजना का प्लान शुरू किया था.

सरकार ने 43 किलोमीटर लंबी सुरंग के काम को पूरा करने में 8 साल की समयसीमा तय की थी. योजना के तहत दो सुरंगें, एक हेड रेगुलेटर, दो लिंक नहरें, एक जलाशय समेत कई अन्य निर्माण किए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 में आंध्र प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने सरकारी आदेश जारी करते हुए 2,813 करोड़ रुपये लागत वाले प्रोजेक्ट की मंजूरी दी थी.

साल 2007 में पूरा काम शुरू हुआ था. खराब मौसम के कारण यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है. इसी टनल में 22 फरवरी को 8 कर्मचारियों फंस गए हैं. उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए सेना, NDRF, गरुड़, SDRF, सिंगरेनी कोलियरीज और हैदराबाद की कई टीमें तैनात हैं.

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