वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, शीर्ष अदालत की पीठ ने अपने 26 सालों पुराने फैसले को बदल दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों-सासंदों को आपराधिक मामलों में छूट देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि संसद के विशेषाधिकारों के कारण रिश्वतखोरी को सही नहीं ठहराया जा सकता है। पीठ की ओर सुनवाई करने वाले जजों में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस जेपी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार शामिल रहे।
पीएम मोदी ने SC के फैसले का किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा फैसले पलटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि, स्वागतम! माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा। वहीं, शीर्ष अदालत ने संविधान की धारा 105 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी अभियोजन को घूसखोरी में छूट नहीं दी जा सकती है। अगर कोई इस मामले में फंसता है तो उस पर मुकदमा चलाया जाएगा।
पीवी नरसिम्हा के मामले को पलटा
सात जजों की पीठ ने कहा कि अगर संसद में कोई सांसद पैसे लेकर भाषण देने की कोशिश करता है तो वह गैर-कानूनी माना जाएगा और उस पर मुकादमा चलाया जाएगा। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि है कि रिश्वत लेने-देने का किसी को अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हम पीवी नरसिम्हा के फैसले से असहमत हैं। पीवी नरसिम्हा और सीबीआई मामले में साल 1998 में वोट के बदले नोट मामले में सांसदों को छूट देने की बात कही गई थी।