Pakistan Suicide Blast: शुक्रवार को एक आतंकी ने दारुल उलूम हक्कानिया मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान आत्मघाती विस्फोट कर दिया.
Pakistan Suicide Blast: आतंकियों ने आतंक के आका पाकिस्तान की नींद उड़ा रखी है. हर रोज आतंकी ऐसी-ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जिससे पाकिस्तान की आवाम ही नहीं सरकार भी डर गई है. शुक्रवार को एक आतंकी ने दारुल उलूम हक्कानिया मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान आत्मघाती विस्फोट कर दिया.
इस हमले में 5 से ज्यादा लोग की मौत हो गई. वहीं, 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यह आतंकी हमला अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले के दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे में हुआ है. इसमें आतंकी समूह अफगान तालिबान के जनक मौलाना समी-उल-हक के बेटे की मौत हो गई है.
JUI-S ग्रुप का भी था प्रमुख
पाकिस्तानी ARY न्यूज चैनल के मुताबिक दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे में जुमे की नमाज खत्म होने के तुरंत बाद ही एक आतंकी ने खुद को उड़ा लिया. मस्जिद नौशेरा जिले के अकोरा खट्टक में स्थित है. मस्जिद में ही एक मदरसा भी है, जिसे अफगान तालिबान का ऐतिहासिक प्रशिक्षण स्थल माना जाता है.
इसी हमले में अफगान तालिबान के जनक माने जाने वाले दिवंगत मौलाना समी-उल-हक के बेटे और धार्मिक स्कूल के प्रमुख मौलाना हामिद-उल-हक की भी मौत हो गई है. हामिद-उल-हक JUI-S यानि जमीयत उलेमा इस्लाम-सामी ग्रुप का प्रमुख भी था. खैबर पख्तूनख्वा के मुख्य सचिव शहाब अली शाह ने हामिद-उल-हक के मौत की पुष्टि कर दी है.
खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस अधिकारियों को शक है कि हामिद-उल-हक को ही निशाना बनाकर आत्मघाती बम विस्फोट किया गया था. हामिद-उल-हक को पाकिस्तान सुरक्षाबलों की ओर से छह सुरक्षा गार्ड दिए गए थे. शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए.
हमले के बाद इलाके और नौशेरा और पेशावर के अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुरा और राज्यपाल फैसल करीम कुंदी ने आत्मघाती विस्फोट की निंदा की है. बता दें कि हामिद-उल-हक ने समी-उल-हक की हत्या के बाद JUI-S की कमान संभाली थी.
यह भी पढ़ें: Bangladesh Next Coup: पाक की राह पर बांग्लादेश! क्या अब यूनुस का होगा तख्तापलट?
1947 में बनाया गया था मदरसा
साल 2018 में अज्ञात हमलावरों ने समी-उल-हक को सोते समय चाकू और गोली मारकर हत्या कर दी थी. बता दें कि तालिबान के जनक की हत्या रावलपिंडी के गैरीसन शहर में की गई थी. उसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान सम्मान की नजरों से देखा जाता था. माना जाता है कि मुल्ला मोहम्मद उमर इसी मदरसे का छात्र था, जिसने समी-उल-हक के सान्निध्य में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की स्थापना की थी.
अफगान सीमा के मुख्य राजमार्ग से दूर दारुल उलूम हक्कानिया विश्वविद्यालय 90 के दशक में तालिबान का लांचिंग पैड था. मदरसे की वेबसाइट के अनुसार इसकी स्थापना अब्दुल हक हक्कानी ने सितंबर 1947 में की थी. जानकारी के मुताबिक यह मदरसा पहले भी विवादों में रहा है. इसी मदरसे के छात्रों पर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या में शामिल होने का आरोप है. हालांकि, मदरसे ने इन दावों से इन्कार किया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मदरसे के कुछ पूर्व छात्रों में अमीर खान मुत्ताकी, अब्दुल लतीफ मंसूर, मौलवी अहमद जान, मुल्ला जलालुद्दीन हकानी, मौलवी कलामुदीन, आरिफुल्ला आरिफ और मुल्ला खैरुल्ला खैरख्वा जैसे तालिबानी नेता शामिल हैं. ऐसे में इसे अक्सर इस्लामी आतंकियों का ‘इनक्यूबेटर’ भी कहा जाता है.
यह भी पढ़ें: कितने परमाणु बम बना सकता है ईरान? IAEA की रिपोर्ट से मिडिल-ईस्ट में मच सकता है बवाल
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram