Hindu Rastra Demand In Nepal: 9 फरवरी को पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के काफिले के पास भारी भीड़ जमा हो गई. भीड़ ने राजशाही की बहाली की मांग की.
Hindu Rastra Demand In Nepal: नेपाल के लोगो ने साल 2008 में राजशाही को उखाड़ फेंकने के बाद फिर से राजशाही की मांग शुरू कर दी है. वह अपने राजा के पक्ष में जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. दरअसल, 9 मार्च को नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह जब काठमांडू एयरपोर्ट से निर्मल निवास के लिए रवाना हो रहे थे, तब काठमांडू के गौशाला इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई. भीड़ ने राजशाही की बहाली की मांग की. इससे नेपाल में सियासी हलचल बढ़ गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि एक बार फिर से नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग जोर पकड़ रही है.
18 फरवरी के बाद शक्ति प्रदर्शन
दरअसल, पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह लोकतंत्र दिवस जैसे कुछ विशेष अवसरों की पूर्व संध्या पर बयान जारी करते रहते हैं. 18 फरवरी को भी ऐसा ही कुछ हुआ था. 18 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के मौके पर जारी बयान में उन्होंने पिछले सात दशक में देश की प्रगति पर अपने विचारों को सामने रखा.
इस दौरान उन्होंन नेपाल में आ रही मुश्किलों पर सवाल उठाए. सामरिक मामलों के जानकारों का कहना है पद से हटने के बाद पूर्व राजा ने पहली बार जनता से सीधी अपील की है. इस सीधी अपील में उन्होंने नेपाली लोगों को यह संदेश दिया है कि अगर देश का भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं तो अपना समर्थन उन्हें दें. इस घटना के बाद राजशाही समर्थकों ने पूरे नेपाल में अपनी गतिविधियां तेज कर दी. इसका सबसे बड़ा परिणाम 9 मार्च को देखने को मिला.
ज्ञानेन्द्र शाह के काफिले में उमड़ी भीड़ ने देश की सबसे पुरानी राजशाही शासन को फिर से स्थापित करने के लिए शक्ति प्रदर्शन किया. नेपाली मीडिया की मानें तो पिछले कुछ सालों से राजशाही समर्थक समूह कभी-कभी राजशाही की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं, लेकिन रविवार की रैली अलग थी. इस रैली ने नेपाल की सियासत को दुनिया के केंद्र में ला दिया. इस रैली में 10,000 हजार से अधिक लोग शामिल थे. रैली में ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीर के साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी दिखाई गई थी.
नेपाल के संसद में गूंजा मामला
नेपाल के कुछ सांसदों ने इस मामले को संसद में भी उठाया है. नेशनल असेंबली में CPN के सांसद उदय बहादुर बोहरा ने चेतावनी दी कि लोकतंत्र पर हमले किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. उदय बहादुर बोहरा ने कहा कि पिछले कुछ समय से काठमांडू और अन्य शहरों में रैलियां हो रही हैं. यह रैलियां सरकार के साथ लोकतंत्र पर भी हमला करती हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 9 मार्च को राजतंत्र समर्थक ताकतों की ओर से जुटाया गया समर्थन महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए. राजनीतिक विश्लेषकों ने सरकार को चेताया कि साल 2006 के 9 मार्च का प्रदर्शन 2006 में दूसरे जन आंदोलन के बाद से लगातार सरकारों की विफलता से उपजी जनता की हताशा को दर्शाता है.
अगर इसे जल्द दूर नहीं किया गया, तो देश में गंभीर राजनीतिक संकट पैदा हो सकते हैं. बता दें कि साल 2006 में नेपाल मे राजशाही शासन को खत्म करने के लिए आंदोलन किया गया था. आंदोलन के सफल होने बाद साल 2008 में नेपाल को धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया. इसके बाद साल 2015 में संविधान में गणतंत्रवाद को भी शामिल किया गया.
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जीडी बख्शी ने बताई सच्चाई
तीन महीनों के दौरान पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने नेपाल के कई इलाकों के साथ ही भारत के उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गोरखपुर का भी दौरा किया. रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने भी इस पर बहुत बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने रविवार को एक X पोस्ट में कई बड़ी बातों का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि नेपाल के लोग अब माओवादियों के हथकंडों से तंग आ चुके हैं, जो कि भ्रष्ट से भ्रष्ट साबित हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि संवैधानिक सम्राट, सांस्कृतिक प्रमुख, एक राजनीतिक पार्टी के संरक्षक या किसी भी रूप में वह राजा की वापसी के लिए तरस रहे हैं.
वह लोगों के लिए विष्णु का प्रतीक है और नेपाल में एक हिंदू राज्य को फिर से स्थापित करने का मुख्य तत्व है. उन्होंने आगे कहा कि नेपाल में रैलियों में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर दिखाई दिए हैं. मैं नेपाल के लंबे समय से पीड़ित लोगों के उद्धार और हिंदू राज्य की फिर से स्थापना के लिए प्रार्थना करता हूं.
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