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कौन हैं देश के वो 5 प्रधानमंत्री, जिनका कार्यकाल रहा सबसे छोटा

by Rashmi Rani
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5 Ex Prime Minister

5 Ex Prime Ministers : कई ऐसे भी प्रधानमंत्री रहे, जिनका कार्यकाल काफी कम समय के लिए रहा। चौधरी चरण सिंह ने 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया।

12 March, 2024

देश में 25 अक्टूबर, 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच आम चुनाव हुए थे। यह 1947 में भारत की आजादी के बाद पहला आम चुनाव था। अपवाद छोड़ दें तो इसके बाद ज्यादातर बार प्रत्येक पांच वर्ष बाद लोकसभा के चुनाव हुए हैं। इसी तरह देश की आजादी के बाद से अब तक 15 प्रधानमंत्री मिल चुके हैं। अगर एनडीए फिर जीतता है और नरेन्द्र मोदी पीएम बनते हैं तो वह तीसरी बार यह पद संभालेंगे। वह पिछले करीब 10 साल से देश के पीएम हैं। इनमें से कई ऐसे भी प्रधानमंत्री रहे, जिनका कार्यकाल काफी कम समय के लिए रहा। चलिए हम आपको बता रहे हैं कि कौन हैं वो राजनेता और कितने समय के लिए रहे प्रधानमंत्री?

प्रधानमंत्रियों का कितना रहा कार्यकाल

चौधरी चरण सिंह – (28 जुलाई 1979 – 14 जनवरी 1980)- 170 दिन
विश्वनाथ प्रताप सिंह- (2 दिसम्बर 1989 – 10 नवंबर 1990)- 343 दिन
चंद्रशेखर- (10 नवंबर 1990 – 21 जून 1991)- 223 दिन
एच डी देवगौड़ा – (1 जून 1996 – 21 अप्रैल 1997)- 324 दिन
इंदर कुमार गुजराल – (21 अप्रैल 1997 – 19 मार्च 1998)- 332 दिन

चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को हुआ था। वो किसान नेता थे और देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने। 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी 1980 तक उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला था। फरवरी 2024 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की भी घोषणा की गई। चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।

विश्वनाथ प्रताप सिंह
विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून, 1931 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में इसका नाम प्रयागराज है) ज़िले में हुआ था। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। उनका शासन एक साल से कम चला. इसके साथ ही वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। प्रधानमंत्री के रूप में भारत की पिछड़ी जातियों में सुधार करने की कोशिश करने के लिए वो जाने जाते हैं। वह 2 दिसंबर, 1989 से 10 नवंबर, 1990 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे। उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को मानकर देश में बहुसंख्यक वंचित समुदायों की नौकरियों में हिस्सेदारी पर मुहर लगा दी थी।

चंद्रशेखर
युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिन्हें आज भी सुनाया जाता है। वो देश के 9वें प्रधानमंत्री थे। वो देश के पहले ऐसे नेता थे जो सांसद से सीधे प्रधानमंत्री बने थे। चंद्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। उनका जन्म 17 अप्रैल, 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। वर्ष 2007 में उन्होंने अंतिम सांस ली थीं। चंद्रशेखर देश के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। बलिया के लोग आज भी उन्हें याद कर भावुक हो जाते हैं। चंद्रशेखर 10 नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक प्रधानमंत्री के पद पर थे। उन्होंने युवा साथियों के माध्यम से देश को समाजवादी दिशा में ले जाने की कोशिश की थी। जयप्रकाश नारायण के साथ भी वो उनकी लड़ाई में खड़े हो गए थे, जिसके लिए उन्हें जेल में नजरबंद कर दिया गया था।

एचडी देवेगौड़ा
एचडी देवेगौड़ा का जन्म 18 मई, 1933 को कर्नाटक के हासन जिले के एक गांव में हुआ था। 30 मई 1996 को देव गौड़ा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। देवेगौड़ा 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक ही प्रधानमंत्री रहे थे। जनता दल के एचडी देवगौड़ा की पार्टी को लोकसभा की महज 46 सीटें मिली थीं, लेकिन इसके बाद भी वो 13 दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। पीएम बनने के 10 महीने बाद ही उन्हें विश्वास मत साबित करना था, लेकिन वो इसे साबित नहीं कर सके थे। दरअसल, संयुक्त मोर्चा सरकार को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे रही थी, लेकिन उसने अपना समर्थन वापस ले लिया था।

इंदर कुमार गुजराल
इंदर कुमार गुजराल भारत के 12 वें प्रधानमंत्री बने। उनका जन्म 4 दिसंबर, 1919 को झेलम में हुआ था। प्रधानमंत्री बने से पहले वो विदेश मंत्री भी रह चुके थे और जल संसाधन मंत्रालय भी उन्होंने संभाला था। 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 तक ही गुजराल प्रधानमंत्री रहे थे। गुजराल को उनके सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। उनके बुनियादी सिद्धांत थे कि अपने पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और श्रीलंका के साथ विश्वसनीय संबंध स्थापित करना होगा, पड़ोसी देशों से जो भी विवाद है उसे बातचीत से सुलझाना होगा और अगर हम किसी पड़ोसी देश की मदद करते हैं तो बदले में तुरंत कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

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