4 April, 2024
UP Varanasi वर्ष 2017 के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में तेज विकास ने गति पकड़ ली है और इसने देश के कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. इसके साथ ही वर्तमान में 69 जीआई टैग (जिओग्राफिकल इंडीकेशन) के साथ भारत में सबसे प्रथम स्थान पर पहुंच गया है. काशी क्षेत्र और पूर्वांचल के जनपदों में कुल 32 जीआई उत्पाद देश की बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार हो गए. माननीय प्रधानमंत्री का अभियान ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ तो पूरे भारत में एक उदाहरण बन गया. मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, काशी की वजह से आज उत्तर प्रदेश देश में जीआई के मामले पहले स्थान पर पहुंच गया.
UP Varanasi उधर, डॉ. रजनीकांत (जीआई विशेषज्ञ) का कहना है कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद से जो भक्तों की टूरिस्टों के यहां आने की संख्या शुरू हुई. इन उत्पादों में चिंता थी कि डुप्लिकेट उत्पाद बिकने लगेंगे, इसलिए जीआई कराना जरूरी हुआ. चाहे साड़ी हो, चाहे कारपेट हो चाहे फिर मीनाकारी ही क्यों नहीं हो. ठंडई हो या लाल पेड़ा है या भरवा मिर्च ही क्यों ना हो. इसकी कोई नकल नहीं कर पाए, दूसरे ताकि उपभोक्ता को सही प्रोडक्ट मिल पाए.
UP Varanasi उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिला
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नौ नए उत्पादों को केंद्र सरकार ने जियोग्राफिकल इंडिकेटर यानी जीआई टैग दिया है. इसमें शहर की मशहूर ठंडाई, तबला और शहनाई शामिल हैं. इन प्रोडक्ट को जीआई टैग की लेटेस्ट सीरीज में शामिल करने के साथ ही उत्तर प्रदेश, देश में सबसे अधिक जीआई टैग पाने वाला राज्य बन गया है.
UP Varanasi उत्तर प्रदेश के 69 प्रोडक्ट को अब तक जीआई टैग मिल चुका है. इसमें अकेले वाराणसी की 30 से अधिक चीजें शामिल हैं. जीआई टैग उन प्रोडक्ट को दिया जाता है, जो किसी खास जगह, संस्कृति और समाज के लिए यूनिक होते हैं. ये उसकी खास पहचान को दर्शाता है. जीआई टैग वाली चीजों को न केवल बड़ा बाजार मिलता है, बल्कि ग्राहकों को भी सही प्रोडक्ट चुनने में मदद मिलती है. बता दें कि ठंडाई, तबला और शहनाई के अलावा, वाराणसी की जिन चीजों को जीआई टैग मिला है, उसमें लाल पेड़ा और भरवा मिर्च जैसी खाने-पीने की चीजें भी शामिल हैं.
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