Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक अहम फैसले में कहा कि जमानत की ऐसी कोई शर्त नहीं हो सकती जो पुलिस को किसी भी आरोपी के निजी जीवन में झांकने की अनुमति दे.
08 July, 2024
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला देते हुए कहा कि जमानत की ऐसी कोई शर्त नहीं रखी जा सकती, जिससे पुलिस आरोपी के निजी जीवन में ताक झांक कर सके. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें जमानत के साथ शर्त रखी गई कि आरोपी को गूगल मैप के जरिए अपने लोकेशन को हमेशा पुलिस के साथ साझा करना होगा. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को जमानत पर रिहा आरोपी के निजी जीवन में झांकने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
क्या था मामला
इस साल 8 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने नाइजीरियन युवक रमन भुरारिया को जमानत दी थी. रमन भुरारिया को पुलिस ने शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड (SBFL) के खिलाफ कथित 3,269 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता मामले में गिरफ्तार किया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जमानत के लिए कई शर्तें लगाईं. उनमें से एक शर्त यह थी कि आवेदक को अपने मोबाइल फोन से गूगल पिन शेयर करना होगा, जिससे इस मामले के संबंधित जांच अधिकारी को उसके लोकेशन के बारे में पता चल सके.
निजता के अधिकार का है उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस किसी भी आरोपी के निजता के अधिकार का उल्लघन नहीं कर सकती है. पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी भी अपराधी के निजी जीवन में ताक झांक करे. सुप्रीम कोर्ट में 24 अगस्त, 2017 को 9 जजों की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसले सुनाया था. अपने फैसले में सर्वसम्मति से घोषणा की थी कि निजता का अधिकार संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है.