Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था. अब 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी.
Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट ने पहले समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था. इस फैसले की समीक्षा की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी. ऐसे में अब 10 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इस पीठ में Chief Justice of India (CJI) के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं.
समलैंगिक विवाह को नहीं दी गई थी कानूनी मान्यता
गौरतलब है कि, समलैंगिक अधिकार की मांग कर रहे लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था. पिछले साल 17 अक्टूबर को कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था. कोर्ट ने कानूनी रूप से किसी भी धर्म में मान्यता प्राप्त विवाह को छोड़कर किसी भी दूसरे तरह के विवाह को अमान्य घोषित किया था. हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिक लोगों के अधिकारों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था कि सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध सामानों में समलैंगिक लोगों के साथ भेदभाव न हो.
‘कानून में बदलाव करना संसद के दायरे में’
सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 21 याचिकाओं के एक बैच पर 4 अलग-अलग फैसले सुनाए थे. सभी जजों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था. संविधान पीठ ने कहा था कि ऐसे संबंधों को वैध बनाने के लिए कानून में बदलाव करना संसद के दायरे में है. बता दें कि समलैंगिक विवाह का मतलब समान लिंग वाले लोगों के बीच विवाह की कानूनी और सामाजिक मान्यता से है.
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