Home Entertainment Chhaava Real Story: क्या आप जानते हैं असली Chhaava की कहानी? जन्म से लेकर मृत्यु तक ये है इतिहास

Chhaava Real Story: क्या आप जानते हैं असली Chhaava की कहानी? जन्म से लेकर मृत्यु तक ये है इतिहास

by Live Times
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Chhaava Real Story: एक्शन से भरपूर ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म ‘छावा’ बॉक्स ऑफिस पर गदर मचा रही है. इस बीच आपके लिए संभाजी महाराज की असली कहानी लेकर आए हैं.

Chhaava Real Story: एक्शन से भरपूर ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म ‘छावा’ बॉक्स ऑफिस पर गदर मचा रही है. इस बीच आपके लिए संभाजी महाराज की असली कहानी लेकर आए हैं.

Chhaava Real Story: एक्शन से भरपूर ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म ‘छावा’ बॉक्स ऑफिस पर गदर मचा रही है. इस बीच आपके लिए संभाजी महाराज की असली कहानी लेकर आए हैं जिनका किरदार इस फिल्म में विक्की कौशल ने निभाया है. देखा जाए तो ये फिल्म, ‘जोधा अकबर’, ‘पद्मावत’ और ‘मुगल-ए-आजम’ जैसी फिल्मों का नया वर्जन है. लेकिन इसकी कहानी बिल्कुल नई है. ऐसे में अगर आप भी इस एक्शन से भरपूर ऐतिहासिक टुकड़े को देखने के लिए सिनेमाघरों की ओर जा रहे हैं, तो पहले संभाजी महाराज के बारे में कुछ जानकारी ले लीजिए.

कौन थे संभाजी महाराज?

संभाजी महाराज के पिता छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी महाराज के बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी है. हालांकि, मराठा साम्राज्य की रक्षा के लिए संभाजी महाराज का समर्पण भी उतना ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने अपनी मातृभूमि और लोगों की रक्षा के लिए कई प्रयास किए. यही वजह है कि संभाजी महाराज को ‘स्वराज्य रक्षक’ की उपाधि भी दी गई.

कब हुआ संभाजी का जन्म?

संभाजी महाराज का जन्म 14 मई, 1657 को पुरंदर किले में हुआ था. हालांकि, वहां वो सिर्फ दो सालों के लिए ही रहे. इसके बाद उनकी मां और शिवाजी महाराज की पहली पत्नी महारानी साईबाई का निधन हो गया. उनकी दादी जीजाबाई ने उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी ली. दरबार के शाही रीति-रिवाजों के अनुसार, संभाजी महाराज को युद्ध के मैदान में लड़ना और दरबार की मशीनरी सिखाई गई.

पिता के साथ संबंध

शिवाजी के सबसे बड़े बेटे और शाही उत्तराधिकारी होने के बावजूद, संभाजी के अपने पिता के साथ बहुत अच्छे संबंध नहीं थे. मुंबई के राइटर वैभव पुरंदरे की किताब शिवाजी भारत के महान योद्धा राजा में इस बात का जिक्र किया गया है. किताब की मानें तो संभाजी महल में अपनी जगह से खुश नहीं थे.

पिता के निधन के बाद असली लड़ाई हुई शुरू

वर्ष 1680 में शिवाजी महाराज के निधन के बाद सिंहासन के लिए उत्तराधिकार के लिए खूनी लड़ाई शुरू हो गई. वैसे तो संभाजी माराठा शासक के सबसे बड़े बेटे थे, लेकिन उनकी सौतेली मां सोयराबाई चाहती थीं कि उनका 10 साल का बेटा राजाराम प्रथम को छत्रपति शिवाजी महाराज की गद्दी पर बैठाया जाए. 9 महीनों तक इसके लिए संघर्ष हुआ जो साल 1681 में संभाजी को छत्रपति का ताज पहनाए जाने के साथ खत्म हुआ.

खूब लड़े संभाजी

साल 1681 में संभाजी ने मैसूर पर कब्जा करने की कोशिश की, जो उस वक्त वोडेयार राजा चिक्कदेवराज के शासन के अधीन था. हालांकि, मैसूर राजा की सेना और हथियार संभाजी महाराज की सेना पर भारी पड़ गए. यही वजह है कि संभाजी महाराज की सेना को अपने कदम पीछे हटाने पड़े. फिर साल 1683 के अंत में, संभाजी महाराज ने गोवा के पुर्तगालियों के खिलाफ हमला किया. इस लड़ाई में पुर्तगालियों ने लगभग हार मान ली थी. लेकिन जनवरी 1684 में जब मुगल सेना और नौसेना बंदरगाह पर पहुंची, तो मराठों के पास पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.

विश्वासघात ने ली जान

एक शासक के रूप में संभाजी महाराज को जीवन में विश्वासघात लोग भी मिलें. इसके चलते आखिरी कुछ सालों में विश्वासघाती लोगों की वजह से बहुत ही कठिन गुजरे. औरंगजेब ने कई मराठा राजाओं को पैसों का लालच दिया और उन्हें अपनी तरफ मिला लिया. आखिरी समये में औरंगजेब ने संभाजी की जुबान कटवाई और उनकी आखें भी फोड़ दी थीं.

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