Home Entertainment Raghubir Yadav Birthday : 10वीं फेल हैं पंचायत के ‘प्रधान जी’, ऐसे तय किया ढाई रुपये सैलरी से लाखों का सफर

Raghubir Yadav Birthday : 10वीं फेल हैं पंचायत के ‘प्रधान जी’, ऐसे तय किया ढाई रुपये सैलरी से लाखों का सफर

by Preeti Pal
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Raghubir Yadav Birthday : मशहूर एक्टर रघुबीर यादव आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं. ऐसे में जानते हैं एक्टर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें

25 June, 2024

Raghubir Yadav Birthday : OTT पर धूम मचा रही वेब सीरीज पंचायत 3 में ‘प्रधानजी’ की भूमिका निभा रहे रघुबीर यादव एक बार फिर चर्चा में हैं. कभी मजाकिया तो कभी गंभीर होकर लोगों का मनोरंजन करने वाले एक्टर रघुबीर यादव सिनेमा से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. वैसे कम ही लोग जानते हैं वो आज भी समय मिलने पर थिएटर करते हैं. अब तक रघुबीर यादव 70 नाटक और 2500 से ज्यादा स्टेज शोज कर चुके हैं. आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं एक्टर की जिंदगी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.

इस फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड

1985 में रघुबीर यादव की फिल्म ‘मैसी साहब’ रिलीज हुई थी. इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है. मैसी साहब में उन्होंने ऐसे शख्स की भूमिका निभाई जो एक लड़की से प्यार करता है, लेकिन मुसीबत आते ही भाग खड़ा होता है. इस फिल्म में उनके अपोजिट अरुंधति राय थीं. वह टेलीविजन धारावाहिक के साथ फिल्मों में भी अपने अभिनय से लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुके हैं.

10 वीं में फेल हुए तो घर से भाग गए

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (Nationla School of Drama) से एक्टिंग सीखने वाले रघुबीर यादव 10वीं फेल हैं. दरअसल, वह पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छे नहीं थे. उनका मन बचपन से ही गाने-बजाने में लगता था. रंगमंच के शौकीन रघुबीर यादव गाने बजाने वालों की मंडली में शामिल हो जाते या नौटंकी देखने चले जाते. वहीं, माता-पिता के कहने पर 10वीं में उन्होंने साइंस ले ली, मगर रिजल्ट आया तो रघुबीर फेल हो गए. इस बीच उनके एक दोस्त ने कहा- ‘रघुबीर तुम घर छोड़कर भाग जाओ’. रघुबीर को दोस्त का आइडिया इतना भाया कि वह सचमुच घर छोड़कर भाग गए.

ढाई रुपये में किया नाटक कंपनी में काम

बचपन से ही रघुबीर यादव हारमोनियम और ढोलक की थाप पर जमकर गीत गाते थे. 10वीं में फेल होने के बाद घर से भागे रघबीर यादव ने नौटंकी कंपनी में काम किया. वह यहां पर सेट डिजाइन से लेकर एक्टिंग तक में हाथ आजमाते थे. इसके बदले में रघुबीर को सिर्फ ढाई रुपये महीना मिला करते थे. कला के भूखे रघुबीर यादव को यह रकम तो कम लगी, लेकिन उनका गाने-बजाने का शौक पूरा होने लगा. नाटक कंपनी में काम करने के दौरान रघुबीर यादव ने बहुत कुछ सीखा. इस बीच जब पैसे खत्म हो जाते तो वह घर वापस आ जाते. घर पर माता-पिता भी खूब फटकार लगाते थे. मगर आज का वक्त है जब रघुबीर यादव देश के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं.

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