Bird flu outbreak in Kerala : दक्षिण भारत के अहम राज्य केरला में एक बार फिर बर्ड फ्लू की दस्तक ने आम लोगों के साथ-साथ राज्य सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है.
यहां पर बता दें कि इस वर्ष बर्ड फ्लू के मामले पहली बार 17 अप्रैल को केरल की एडथुआ और चेरुथाना ग्राम पंचायतों के कुछ वार्डों में बत्तखों में सामने आए थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अंबालापुझा उत्तर ग्राम पंचायत के वार्ड 9 में बर्ड फ्लू के नए मामलों की पुष्टि हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि इस वार्ड के एक किलोमीटर के दायरे में 6,777 घरेलू पक्षियों को गुरुवार को मारा जाएगा. आधिकारिक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि इस साल अब तक जिले में 53,455 घरेलू पक्षियों को मारा जा चुका है. चेरुथाना में 11,939, एडथुआ में 31,811, अंबालापुझा उत्तर में 540 और थकाझी में 9,165 पक्षियों का मारा गया है.
पक्षियों में पाया गया था एवियन इन्फ्लुएंजा
उधर, ऑल केरल पोल्ट्री ओनर्स एसोसिएशन के महासचिव एस के नासर ने इस पूरे मामले में कहा कि पिछले 12 वर्षों के दौरान अलपुझा ऐसा जिला रहा है, जहां हर साल बर्ड फ्लू के मामले सामने आते रहे हैं. अलपुझा में बत्तखों में यह बीमारी अधिक पाई जाती है, क्योंकि जिले में खास तौर पर कुट्टनाड क्षेत्र में बत्तख पालन का काम बड़े पैमाने पर होता है. उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में प्रवासी पक्षी भी आते हैं, क्योंकि यहां कई जल निकाय हैं. मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, बर्ड फ्लू के प्रकोप के चलते केरल के अलप्पुझा जिले में 53,000 से अधिक घरेलू पक्षियों को मारा गया है. इन पक्षियों में एवियन इन्फ्लुएंजा पाया गया.
क्यों होता है बर्ड फ्लू
एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू दरअसल, एवियन (पक्षी) इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के A वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी है. यह वायरस विश्व भर में जंगली जलीय पक्षियों में फैलता हैं. इसके साथ ही ये घरेलू पोल्ट्री और अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों को संक्रमित कर सकते हैं.
क्या होते हैं लक्षण
लक्षण प्रकट होने के कुछ दिनों के भीतर ही संबंधित व्यक्ति को निमोनिया और सांस संबंधी दिक्कत होती है.वहीं, इलाज की बात करें तो शीघ्रता से जांच के बाद पुष्ट होने पर एंटीवायरल दवा का उपयोग करने से जटिलताओं को रोका जा सकता है. इसके साथ ही गंभीर बीमारी के विकास के जोखिम को भी कम किया जा सकता है.
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