Climate Talks: विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) की महानिदेशक सुनिता नारायण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर ‘संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ के तहत चलने वाले जलवायु से जुड़े अभियानों में भारत की भूमिका अहम हो सकती है.
16 June, 2024
Host Cop In 2028: सुनीता नारायण CSE (Cetnter for Science and Enviornment) की डायरेक्टर होने के साथ जानी मानी पर्यावरण विशेषज्ञ हैं. वो जलवायु परिवर्तन से जुड़े विश्वव्यापी अभियानों में भारत की भूमिका अहम मानती हैं. उन्होंने कहा कि, ‘ भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनने और जलवायु को लेकर होने वाली वार्ताओं में और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2028 में ‘ संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन’ की मेजबानी करने की योजना पर पहले से ही काम कर रहे हैं.’
भारत को मिलेगी COP-28 कॉन्फ्रेंस की मेजबानी?
PTI वीडियो से खास बातचीत में विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र की महानिदेशक सुनिता नारायण ने कहा कि, ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत होने वाला COP सम्मेलन ऐसा मंच है जहां जलवायु परिवर्तन से पैदा चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय फैसले लिए जा सकते हैं.’ PM मोदी ने दुबई में आयोजित COP-28 को संबोधित करते हुए 2028 के जलवायु सम्मेलन की मेजबानी भारत को दिए जाने की बात कही थी.
देशों को एक साथ रहना सीखना होगा
COP की अध्यक्षता अलग-अलग दुनिया के अलग अलग देशों को दी जाती रही है. भारत को अगला मौका 2028 में मिलेगा जब एशिया की बारी आएगी. लेकिन इसके लिए इस ग्रुप के सभी देशों को पीएम मोदी की दावेदारी से सहमत होना होगा. सुनीता नारायण ने कहा कि, ‘जलवायु परिवर्तन समाजवाद को दोबारा सीखने का तरीका है क्योंकि ये साझे वातावरण के बारे में है, जहां देशों को एक साथ रहना सीखना होगा, चाहे वे इसे पसंद करें या नहीं.’
वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है पर्यावरण संकट
सुनिता नारायण COP-28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर की सलाहकार पैनल की सदस्य थी. अल जाबेर तेल की दिग्गज कंपनी ‘अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी’ के प्रमुख भी हैं. इसने कार्यकर्ताओं की इस चिंता को और हवा दी कि बड़े उद्योग पर्यावरण संकट के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को हाईजैक कर रहे हैं. सुनीता नारायण कहती हैं, ‘ यूक्रेन युद्ध ने रिन्यूएबल एनर्जी के बारे में बातचीत को पीछे धकेल दिया है. जर्मनी LNC स्टेशनों के निर्माण पर वापस जा रहा है. अमेरिका ज्यादा से ज्यादा ‘फ्रैकिंग’ की बात कर रहा है’
ग्रीन डील के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
सुनीता नारायण के मुताबिक, यूरोप में दक्षिणपंथी दलों के बढ़ते असर की वजह से भी यूरोपीय संघ में ग्रीन डील के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसी हालत में जरूरत एक ऐसे मंच की है, जहां एक साथ आकर चर्चा की जा सकें. इस में दक्षिण एशियाई देशों को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए. सुनिता नारायण ने ये भी कहा कि, ‘ भारत को जलवायु फाइनेंस और रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं के लिए पूंजी की उच्च लागत का मुद्दा भी उठाना चाहिए. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर उन्हें चर्चा करनी चाहिए. क्योंकि भारत वैश्विक नेतृत्व का बहुत ही अहम हिस्सा है.
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