Mpox: एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है.
17 August, 2024
Mpox: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को अफ्रीका में कांगो और उसके पड़ोसी देशों में एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. ये बीमारी इस साल अब तक कांगो समेत 10 अफ्रीकी देशों में पाई गई है. इसके करीब 96 प्रतिशत मामले कांगो में सामने आए हैं.
अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय
WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयसस का कहना है कि मैंने पिछले सप्ताह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अफ्रीका के दूसरे देशों में एमपॉक्स के बढते मामले को देखते हुए इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन के तहत इमरजेंसी कमेटी बुलाने की घोषणा की थी. 17 अगस्त, शनिवार को इमरजेंसी कमेटी से मेरी मुलाकात हुई और उन्होंने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बताया.
एमपॉक्स के लक्षण
एमपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस से पैदा होती है. यह बीमारी ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ इलाकों में होती है. इस बीमारी में संक्रमित व्यक्ति को आम तौर पर बुखार, गले में खराश और सिरदर्द जैसे लक्षण के साथ स्किन पर चकत्ते हो जाते हैं. ज्यादातर मरीज 2 से 4 हफ्ते के अंदर ठीक हो जाते हैं लेकिन बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह बीमारी गंभीर बन सकती है.
कांगों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मामले
सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अतुल गोगिया का कहना है कि इस मामले में आमतौर पर परेशानी उन लोगों को होती है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इसके अलावा चेचक और वायरस जैसे दूसरे मामले भी हैं कुछ मात्रा में क्रॉस इम्युनिटी होती है. कांगो में एमपॉक्स के 70 प्रतिशत से ज्यादा मामले में 85 प्रतिशत मौतें 15 साल से कम उम्र के बच्चों की हुई हैं. जैसे-जैसे केस बढते जा रहे हैं, ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करके इस बीमारी को और ज्यादा फैलने से रोकने की कोशिशें तेज कर दी गईं हैं.
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