कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है: 1.एलडीएल (कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन) और 2. एचडीएल (उच्च घनत्व वाला लिपोप्रोटीन).
New Delhi: भारत के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जो मनुष्य के शरीर में कोलेस्ट्रॉल का सटीक पता लगाएगा. जो गंभीर बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में मदद करेगा. वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म ( Optical sensing platform) विकसित किया है. इससे एथेरोस्क्लेरोसिस, वेनस थ्रोम्बोसिस, कार्डियोवास्कुलर रोग, हृदय रोग, मायोकार्डियल इन्फार्क्सन, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने में मदद मिल सकती है. कोलेस्ट्रॉल मनुष्यों में एक आवश्यक लिपिड है. यह यकृत द्वारा निर्मित होता है.
कोलेस्ट्रॉल का उच्च और निम्न स्तर दोनों ही विभिन्न बीमारियों का कारण
कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है: 1.एलडीएल (कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन) और 2. एचडीएल (उच्च घनत्व वाला लिपोप्रोटीन). एलडीएल को अक्सर ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह धमनियों की दीवारों में जमा हो सकता है और गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है. कोलेस्ट्रॉल के स्तर में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिकों ने बताया कि उच्च और निम्न कोलेस्ट्रॉल दोनों ही मानव के लिए घातक हो सकता है. यह कई बीमारियों जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कैंसर का कारण बन सकता है.
भारत सरकार के अधीन गुवाहाटी स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान ( IASST) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है. इस संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने फॉस्फोरिन क्वांटम डॉट का उपयोग करके रेशम फाइबर के आधार पर कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए एक ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया है. वैज्ञानिकों की टीम में डीएसटी इंस्पायर की वरिष्ठ अनुसंधान फेलो सुश्री नसरीन सुल्ताना, सेवानिवृत्त प्रोफेसर नीलोत्पल सेन शर्मा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष बाला थे.
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