Asif Ali Zardari: पाकिस्तान के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले आसिफ अली जरदारी के ऊपर पूर्व भ्रष्टाचार और राजनीति के जोड़ो-तोड़ के आरोप लगे हैं, इसके लिए उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा है। हालांकि उनके ऊपर कोई आरोप सिद्ध नहीं हो पाया था।
11 March 2024
Pakistan News: आसिफ अली जरदारी (Asif Ali Zardari) का जन्म साल 1955 में हुआ, उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सेंट पैट्रिक स्कूल से ली। इसके बाद वो सिंध के पिटारो स्थित कैडेट कॉलेज में पढ़ने के लिए चले गए और अगर उनकी जीवनी को देखें तो उसके अनुसार लंदन से बिजनेस सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन की है। आसिफ अली धनी परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता हाकिम अली जरदारी जमीनदारी के अलावा कराची में सिनेमाघरों और कंस्ट्रक्शन से संबंधित काम करते थे। बता दें कि किसी समय शेख़ मुजीब की अवामी नेशनल पार्टी के भी सदस्य रहे थे। साल 1985 में जनरल जिया उल हक के दौर में नवाबशाह की पार्टी से हाकिम अली जरदारी ने चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
काउंसलर का पहला चुनाव आसिफ हार गए
आसिफ अली अपने पिता हाकिम से पहले नवाबशाह की पार्टी से जुड़ गए थे और साल 1983 में जिला काउंसिल का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1983 वह समय था जब सिंध में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए आम लोगों से लेकर नेता तक संघर्ष कर रहे थे, इस दौरान सेना ने फायरिंग कर दी। इस दौरान पीपुल्स पार्टी के 16 कार्यकर्ता मारे गए और करीब 50 लोग घायल हो गए थे। आसिफ अली को 1987 से पहले कोई नहीं जानता था, लेकिन जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी तत्कालीन पीएम बेनजीर भुट्टो से उनकी शादी हुई तो उनको देशभर में लोग जानने लगे थे।
बेनजीर की सरकार में आसिफ पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
वर्ष 1988 के आम चुनाव में बेनजीर भुट्टो की पीपुल्स पार्टी ने जीत दर्ज कर ली और बेनजीर प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पति आसिफ को भी पीएमओ लेकर आ गईं। यही से आसिफ की राजनीति और उससे जुड़े विवाद शुरू हो गए थे। इसके साथ ही उनके ऊपर कथित भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए थे। देश में अधिक विरोध बढ़ने पर राष्ट्रपति गुलाम इसाक ने बेनजीर सरकार को बर्खास्त कर दिया और असेंबली को भी भंग कर दिया। इसके बाद नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग सत्ता में आई और साल 1990 में पहली बार आसिफ अली जरदारी की गिरफ्तार हुई। लेकिन जब नवाज की सरकार गिरी तो 1993 में आसिफ जेल से रिहा कर दिए गए।
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जरदारी को किया गया गिरफ्तार
आसिफ के ऊपर भ्रष्टाचार, अपहरण और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन यह आरोप कोर्ट में सिद्ध नहीं हो पाया, जिसके कारण उनको जेल से रिहा कर दिया गया। 1990 आसिफ के लिए वो वक्त था जब सरकारी ठेकों में भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से उनतके ऊपर’मिस्टर टेन पर्सेंट’ का ठप्पा लग गया था, हालांकि उनके ऊपर यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया था। लेकिन साल 1993 में एक बार फिर आम चुनाव हुए जहां आवामी लीग की जीत हुई और बेनजीर भुट्टो दूसरी बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बन गईं। लेकिन इस बार भी बेनजीर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और साल 1996 में सत्ता से बेदखल कर दी गईं।
मुशर्रफ ने हटाए उनके ऊपर से केस
बेनजीर भुट्टो के दूसरे कार्यकाल के दौरान आसिफ अली जरदारी पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक जोड़तोड़ के आरोप लगाए गए थे, लेकिन बेनजीर की सत्ता हटाए जाने पर आसिफ दुबई में मौजूद थे, जब पाकिस्तान आए तो उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद नवाज की सरकार बनी और फिर कुछ समय बाद परवेज़ मुशर्रफ़ ने पाक में मार्शल लॉ लगा दिया था। आसिफ पर कई गंभीर आरोप भी लगे थे, जहां उनके ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर बेनज़ीर भुट्टो के भाई मुर्तज़ा भुट्टो की हत्या का भी आरोप लगा था। लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। आसिफ अली रिहाई की तब तक नहीं हुई जब तक परवेज मुशर्रफ ने उन पर नेशनल रिकॉन्सिलिएशन ऑर्डिनेंस जारी नहीं कर दिया गया। इस ऑर्डिनेंस के लागू होने से आसिफ के ऊपर से सभी केस वापस लिए गए और इसके बाद अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया।
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बेनजीर की हत्या पर आसिफ को मिली सहानुभूति
रावलपिंडी के लियाकत बाग में 27 दिसंबर 2007 के आत्मघाती हमले में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गई थी। जहां आसिफ अली को इसकी सिंपैथी मिली और उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए नारा दिया ‘पाकिस्तान चाहिए’। इसके बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स का सबसे पॉपुलर नारा बन गया। साल 2008 के इलेक्शन में पीपुल्स पार्टी को सफलता मिली और प्रधानंमत्री के रूप में यूसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री पद पर विराजमान कर दिया गया। हालांकि शुरुआती समय में पीपुल्स पार्टी का साथ भी मुस्लिम लीग ने दिया, लेकिन यह ज्यादा दिन तक गठबंधन टिक नहीं पाया। इसी बीच दोनों दलों के बीच जनरल परवेज़ मुशर्रफ पर महाभियोग लाने पर सहमति बन गई और आसिफ ने बयान दिया कि अगर मुशर्रफ पर अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तो उनके ऊपर कोई केस नहीं लगाया जाएगा। इसके बाद परवेज ने इस्तीफे की पेशकश की और आसिफ जरदारी का राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया। जहां जरदारी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन गए।
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आसिफ को इसलिए बनाया गया पाक का राष्ट्रपति
आसिफ जरदारी साल 2008 से 2013 तक राष्ट्रपति रहे और वह देश के एक मात्र नागरिक रहे जिन्होंने राष्ट्रपति का पूरा कार्यकाल किया। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कई अहम फैसले लिए, जिसमें सबसे प्रमुख कार्य राज्यों की स्वायत्तता बहाल कर दी गई और असेंबली को भंग करने का अधिकार संसद को वापस करना पड़ा। आसिफ जरदारी एक बार फिर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए हैं। बीते दिनों पहले ही आसिफ के बेटे बिलावल भुट्टो ने कहा कि पीपुल्स पार्टी केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष हिस्सा नहीं होगी, लेकिन बाहर से उन्हें समर्थन देगी। पाकिस्तान राजनीति के जानकारों का कहना है कि आसिफ जरदारी को राष्ट्रपति इसलिए बनाया गया है क्योंकि राष्ट्रपति को संवैधानिक तौर पर छूट मिलती है। पाकिस्तान के संविधान में दिए गए कानून के अनुसार कोई भी शख्स राष्ट्रपति पद पर है तो उनके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती है और न ही कोई केस किया जा सकता है।