Booker Prize 2024 : बुकर प्राइज पाने वालों की लिस्ट में विदेशी नागरिकों के अलावा भारतीयों को भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिनमें हमने 6 लेखकों के बारे में बताने की कोशिश की है.
13 November, 2024
Booker Prize 2024 : बुकर प्राइज एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है जो इंग्लिश में लिखे गए निरंतर सर्वश्रेष्ठ साहित्य को प्रत्येक वर्ष दिया जाता है. इस पुरस्कार की स्थापना ‘बुकर प्राइज फॉर फिक्शन’ के रूप में की गई थी जब कंपनी बुकर मैककॉनेल लिमिटेड ने 1969 में शुरुआत की और उस वक्त ‘बुकर पुरस्कार’ या ‘बुकर’ के रूप में जाना जाता है. जॉक कैंपबेल, चार्ल्स टायरेल और टॉम मास्क्लर ने उस वक्त इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दुनिया का पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया जाता है. वर्तमान में दुनिया में कई लेखक इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं, जिनमें कई भारतीय भी शामिल हैं. इस आर्टिकल में हम उन भारतीय लेखकों के बारे में बताएंगे जिन्हें बुकर प्राइज से सम्मान किया जा चुके हैं.
सलमान रुश्दी
प्रसिद्ध ब्रिटिश-भारतीय उन्यासकार सर अहमद सलमान रुश्दी को 4 बार बुकर प्राइज के लिए नामित किया गया है, इनमें से ‘बुकर ऑफ बुकर्स’ और ‘बेस्ट ऑफ द बुकर’ के लिए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. वहीं, साल 1981 में सलमान रुश्दी को ‘मिड नाईट चिल्ड्रन’ उपन्यास के लिए बुकर प्राइज से सम्मान किया गया था.
अरुंधति रॉय
उपन्यास अरुंधति रॉय भारत में एक जानामाना नाम हैं वह एक शानदार लेखक होने के साथ पॉलिटिकल एक्टिविस्ट भी हैं जो लगातार भारतीय राजनीति पर अपनी प्रतिक्रिया देती रहती हैं. अरुनधति रॉय ने साल 1997 में ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया था यह एक गैर-प्रवासी भारतीय की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक है जिसके बाद रॉय को दुनिया में एक बड़ा नाम मिला था.
वी.एस नायपॉल
उपन्यासकार वी.एस नायपॉल भारत में तो पैदा नहीं हुए हैं लेकिन वह मूल रूप से भारतीय हैं. नायपॉल को वर्ष 1971 में ‘इन बैंड इन द रिवर’ के लिए बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया था. इसके बाद उनको दोबारा ‘अ बैंड इन द रिवर’ के लिए नॉमिनेट किया गया.
इंद्रा सिन्हा
इंद्रा सिन्हा एक इंडियन ब्रिटिश राइटर हैं उन्होंने साल 2007 में इंद्रा ने भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित ‘एनिमल्स पीपल’ उपन्यास लिखा था, जिसकी बाद में काफी चर्चा हुई थी और इसकी वजह से यह बुकर्स की फाइल सूची का हिस्सा रहा था.
अरविंद अडिगा
अरविंद अडिगा को वर्ष 2008 में उनके उपन्यास स ‘द व्हाइट टाइगर’ के लिए सम्मानित किया गया था. वह चौथे ऐसे भारतीय बन गए जिन्होंने इस पुरस्कार को अपने नाम किया.
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