Home International 2030 तक मंडराएगा धरती पर खतरा! UN की रिपोर्ट ने बढ़ाई भारत समेत 195 देशों की चिंता

2030 तक मंडराएगा धरती पर खतरा! UN की रिपोर्ट ने बढ़ाई भारत समेत 195 देशों की चिंता

by Divyansh Sharma
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Climate Change, UN, Live Times

Climate Change: इनवायरमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट में कहा गया है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयासों में अभी भी कमी है.

Climate Change: संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी रिपोर्ट में बहुत बड़ा दावा किया गया है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा प्रयासों के बाद भी तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए जरूरी उपायों से बेहद कम है.

ऐसे में रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई देशों की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बाद भी 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में केवल 2.6 प्रतिशत की कमी ला पाएंगी.

Climate Change: वैश्विक उत्सर्जन को कम करना मुश्किल

संयुक्त राष्ट्र की संस्था इनवायरमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की ओर से जारी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयासों में अभी भी कमी है.

ऐसे में साल 2030 तक 2019 के स्तर के मुकाबले वैश्विक उत्सर्जन में केवल 2.6 प्रतिशत की कमी ही ला पाएंगी.

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए वैश्विक उत्सर्जन को 2030 तक 43 प्रतिशत और 2035 तक 60 फीसदी तक कम करने की आवश्यकता है.

रिपोर्ट में पेरिस समझौते में शामिल 195 देशों की ओर से 168 जारी जलवायु योजनाओं की जानकारी का विश्लेषण किया गया है. यह डेटा 9 सितंबर, 2024 तक का है.

1990 की तुलना में 49.8 फीसदी अधिक

रिपोर्ट के मुताबिक, कुल वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन साल 2030 में लगभग 51.5 (48.3-54.7) गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होगा.

यह साल 1990 की तुलना में 49.8 प्रतिशत अधिक, साल 2010 की तुलना में 8.3 प्रतिशत अधिक और साल 2019 की तुलना में 2.6 प्रतिशत कम और 2025 के अनुमानित स्तर से 2.8 प्रतिशत कम होगा.

ऐसे में रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि यह आंकड़े साल 2030 से पहले वैश्विक उत्सर्जन के चरम पर पहुंचने की संभावना को दर्शाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्ष से साफ है कि वर्तमान जलवायु योजनाएं वैश्विक तापमान को किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने, अरबों लोगों के जीवन और आजीविका को बर्बाद करने से रोकने के लिए जरूरी उपायों से मीलों पीछे हैं.

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साल 2025 के प्लान में फिर से होगी चर्चा

संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने जोर दिया कि साल 2025 में कई देशों की ओर से पेश किए जाने वाले प्लान में कुछ खास करना होगा.

उन्होंने कहा कि प्लान में सभी देशों की ओर से कोशिश करनी चाहिए कि सभी ग्रीनहाउस गैसों को कवर करें और इसे 1.5 डिग्री पर कायम रखने की कोशिश करें.

उन्होंने बताया कि नवंबर में अजरबैजान के बाकू में इस साल के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में जलवायु वित्त पर भी चर्चा होना चाहिए.

उन्होंने दावा किया कि इससे विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने और अनुकूलन करने के लिए साल 2025 से विकासशील देशों की ओर से मदद मिलती रहे.

उन्होंने दावा किया कि विकासशील और गरीब देश जलवायु वित्त लक्ष्य को महत्वपूर्ण मानते हैं. ऐसे उन्हें मदद की बेहद आवश्यकता है.

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