Congo Violence: M23 ने सेना को हटाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. इस कब्जे ने साल 1996 और साल 2003 के विनाशकारी युद्ध की याद दिला दी है.
Congo Violence: पूर्वी कांगो के सबसे बड़े शहर गोमा पर कब्जा करने के बाद रवांडा समर्थित M23 विद्रोही गुट अब दूसरे सबसे बड़े शहर बुकावु में प्रवेश कर चुका है. साथ ही उन्होंने शहर से सेना को पूरी तरह से हटाने के लिए अभियान भी शुरू कर दिया है. इस कदम ने लोगों को एक बार फिर से 1996 और 2003 के विनाशकारी युद्ध की याद दिला दी है.
कांगो और बुरुंडी के सैनिक हटे पीछे
दरअसल, रवांडा समर्थित M23 विद्रोही गुट ने इस साल जनवरी के अंत में पूर्वी कांगो के सबसे बड़े शहर गोमा पर कब्जा किया था. इसके बाद से ही वह बुकावु की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. अब ऐसे में एक दिन पहले M23 विद्रोही गुट के सहयोगी गठबंधन CRA के एक नेता ने कहा है कि मैं पुष्टि करता हूं कि हम बुकावु में प्रवेश कर चुके हैं और हम शहर को साफ करने का अभियान जारी रखेंगे.
इस पूरे मामले पर FARDC यानि कांगो की सेना की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है. माना जा रहा है कि विद्रोहियों के आने से पहले ही सेना एक एयर पोर्ट से पीछे हट गई है. वहीं, कांगो और बुरुंडी के सैनिकों को दिन में बुकावू के मुख्य सैन्य शिविर से बाहर निकलते हुए देखा गया है. दावा किया जा रहा है कि सेना के जवान आबादी वाले क्षेत्रों में लड़ाई से बचने के लिए पीछे हट रहे हैं.
बता दें कि M23 विद्रोही गुट के कब्जे के बाद कांगो में मानवीय स्थिति और खराब हो सकती है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा था कि शहर की ओर विस्थापित लोगों की बड़ी संख्या बढ़ रही है. शहर में पहले से ही लगभग 1.3 मिलियन लोग रह रहे हैं. इससे बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ सकता है.
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अंतरराराष्ट्रीय समर्थन मांग रही कांगो की सरकार
इस बीच कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने इस संकट से निपटने के लिए अंतरराराष्ट्रीय समर्थन मांगा है. साथ ही उन्होंने बड़े युद्ध के खतरे के प्रति आगाह किया है. उन्होंने इस युद्ध के लिए रवांडा की भूमिका को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं, रवांडा ने संयुक्त राष्ट्र समेत पश्चिमी देशों के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि उसके हजारों सैनिक M23 के साथ लड़ रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जैसे-जैसे पूर्वी क्षेत्र में लड़ाई बढ़ती जा रही है, वैसे ही कांगो की राजधानी किंशासा में भी भारी सैन्य तैनाती की गई है. हाल में शुरू हुई यह लड़ाई सत्ता, पहचान और संसाधनों को लेकर संघर्ष का बड़ा हिस्सा है. जानकारी के मुताबिक साल 2012 से अब तक लाखों लोग कांगो में मारे गए हैं और दस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं.
बता दें कि साल 1994 के रवांडा नरसंहार के बाद साल 1996 में भीषण युद्ध हुआ था. इसे पहला अफ्रीका के प्रथम विश्व युद्ध कहा जाता है. इस युद्ध में एक लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. वहीं, साल 2003 में दूसरा कांगो विश्व युद्ध हुआ था. इस युद्ध में करीब 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. ऐसे में कांगो में M23 के कब्जे के बाद फिर से बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ सकता है.
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