Syria War: सैदनाया जेल अपनी भयावहता के लिए बदनाम है. इसके बारे में कहा जाता है कि कैदियों की चीखें गलियारों में और जेल के बाहर तक गूंजती हुई सुनी जा सकती थी.
Syria War: रविवार को सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार गिरने के साथ सबसे पहले लोग जिस जगह पहुंचे थे, वह थी सैदनाया जेल. इस दौरान बच्चों समेत महिलाएं और पुरुष बंदियों की चीखें सुनी जा सकती थी. सैदनाया जेल अपनी भयावहता के लिए बदनाम है. भयावहता इस कदर कि सीरिया के लोग इसे कत्लगाह, कत्लखाना और मानव वधशाला कहते थे.
सैदनाया जेल सीरिया की राजधानी दमिश्क से 32 किलोमीटर दूर स्थित है. इस जेल के बारे में कहा जाता है कि यातना दिए जा रहे कैदियों की चीखें गलियारों में और जेल के बाहर तक गूंजती हुई सुनी जा सकती थी. ऐसे में जब रविवार को राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार गिरी, वैसे ही लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों की खोज में सैदनाया जेल के ताले तोड़ दिए और कई लोगों को रिहा करा लिया.
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विद्रोह को दबाने के लिए किया जेलों का इस्तेमाल
दरअसल, रविवार की सुबह सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार गिरने के साथ ही अल-असद परिवार के 54 साल का शासन खत्म हो गया. साल 1970 में हाफिज अल-असद सत्ता में आए थे और उसके बाद उनके बेटे बशर अल-असद साल 2000 में सीरिया के राष्ट्रपति बने. दावा किया जाता है कि अल-असद परिवार ने क्रूर तरीके से शासन किया. साल 2011 में विद्रोह की आंच सीरिया पहुंची.
इस दौरान बशर अल-असद ने विद्रोह को दबाने के लिए सेना, हथियारों और सीरिया की जेलों का बड़े पैमाने पर सहारा लिया. इसी में शामिल है सैदनाया सैन्य जेल. न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने एमनेस्टी इंटरनेशनल और कई समूहों के हवाले से कहा कि सैदनाया में हर सप्ताह 10 से ज्यादा लोगों को गुप्त तरीके से मार दिया जाता था. एजेंसी के मुताबिक, अनुमान है कि साल 2011 से 2016 के बीच 13 हजार से अधिक सीरियाई नागरिक और विद्रोही इस जेल में मारे जा चुके हैं.
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जेल में बंदियों को पीटा जाता था हर रोज
कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीरिया में साल 2011 के बाद से विद्रोह आवाज उठाने वाले लोगों को गुप्त तरीके से गायब कर दिया जाता था. उन्हें सैदनाया सैन्य जेल में ले जाया जाता था. न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक जेल की संरचना एक भूलभुलैया की तरह है. रविवार को जेल के अंदर पहुंचे लोग अपने लोगों को ढूंढते रहे. रिपोर्ट में बताया गया कि संकरी कोठरियों में एक बार में एक दर्जन से ज्यादा लोगों को ठूंस दिया जाता था.
साथ ही उन्हें इस कदर यातना दी जाती थी कि चीखें गलियारों में गूंजती हुई सुनी जा सकती थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बंदियों को उन्हें हर रोज क्रूर तरीके से पीटा जाता था. साथ ही दुष्कर्म, बिजली के झटके जैसी कई यातनाएं दी जाती थी. कई लोगों को मारकर उसी जेल में दफना दिया जाता था. जेल के गार्ड किसी को बात करने की अनुमति नहीं देते थे. बंदी सिर्फ लिखकर ही संवाद कर सकते थे. कोठरियों की दीवारों पर कई तरह के संदेश लिखे हुए थे. इनमें से कई बंदियों ने रिहा होते सालों बाद सूरज की रोशनी देखी.
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सीरिया में एक लाख 50 हजार लोग गायब
बता दें कि 10 दिनों में विद्रोहियों ने अलेप्पो, होम्स, हमा तथा दमिश्क जैसे शहरों में कैदियों को रिहा कर दिया है. हालांकि, इनमें से कई लोगों को अपने संबंधी नहीं मिले. रविवार को लोग अपने परिजनों की तलाश में हथौड़ों, फावड़ों और ड्रिल से लैस लोग फर्श और दीवारों को तोड़ते हुए देखे गए. साल 2017 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अनुमान लगाया था कि सैदनाया सैन्य जेल में 10 से 20 हजार लोगों को कैद किया गया है, जो हर रोज सामूहिक फांसी, दुष्कर्म, यातना और भुखमरी का सामना करता है.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि गार्ड हर रोज कैदियों के शवों को इकट्ठा करने के लिए कोठरियों का चक्कर लगाते थे, जो यातना, भूख और जेल में पीटाई से मनोविकृति के कारण मर गए हैं. दावा किया गया कि जेल के नीचे कोई तहखाना या गुप्त कालकोठरी है, जिसमें भी लोग कैद है. हालांकि, सीरियाई नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवी संगठन व्हाइट हेल्मेट्स ने बताया कि जेल के नीचे कोई तहखाना नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक 2011 से अब तक सीरिया में एक लाख 50 हजार लोग हिरासत में लिए गए हैं या लापता हो गए हैं.
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