Home International डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध, क्या मिडिल-ईस्ट में आएगी शांति?

डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध, क्या मिडिल-ईस्ट में आएगी शांति?

by Divyansh Sharma
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US Election Result Effect On War: प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप साफ कर चुके हैं कि वह राष्ट्रपति बनते ही ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर काम करेंगे.

US Election Result Effect On War: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की धमाकेदार वापसी हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप को अभी तक इस चुनाव में 538 में से अभी तक 277 इलेक्टोरल कॉलेज वोट पाकर 270 बहुमत के आकंड़े को पार कर चुके हैं.

अब वह जनवरी में अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे. ऐसे में चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

दुनिया के कई हिस्सों में तनाव चरम पर

बता दें कि इस वक्त दुनिया के कई हिस्सों में तनाव अपने चरम पर है. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल के साथ कई मोर्चों पर जंग से अनिश्चितता का माहौल है.

हालांकि, अमेरिकी चुनाव में प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप साफ कर चुके हैं कि वह राष्ट्रपति बनते ही ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर काम करेंगे. ऐसे में उनकी जीत से वैश्विक स्तर पर काफी हद तक प्रभावित हो सकती है.

चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान वह कई बार कह चुके हैं कि दो साल से अधिक समय से चल रहे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक दिन में खत्म करवा सकते हैं.

इस पर जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसा कैसे करेंगे, तो उन्होंने कहा कि सौदे की देखरेख से ऐसा हो सकता है. हालांकि, उन्होंने इस पर पूरी जानकारी देने से इन्कार कर दिया.

डोनाल्ड ट्रंप ने NATO पर जताया है संदेह

बता दें कि डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी कमला हैरिस और अन्य नेता डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप लगा चुके हैं कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ नजदीकी बढ़ाने पर जोर देते हैं.

उनका कहना है कि यूक्रेन से डोनाल्ड ट्रंप आत्मसमर्पण की उम्मीद करते हैं. ऐसे उनका दावा किया है कि इससे पूरा यूरोप खतरे में पड़ जाएगा और अमेरिकी संसाधनों की बर्बादी होगी.

बता दें कि यूक्रेन के साथ इस वक्त अमेरिका ने नेतृत्व में NATO यानी (नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) के कुल 32 देश खड़े हैं.

वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर कई बार NATO पर संदेह जताते हुए यूरोप पर अमेरिका के संरक्षण के वादे का फायदा उठाने का आरोप तक लगाया है. अब डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यूक्रेन के साथ-साथ NATO देश भी इसे लेकर चिंतित होंगे.

मिडिल-ईस्ट में शांति लाने का वादा

इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने के तरह ही डोनाल्ड ट्रंप ने मिडिल-ईस्ट में भी शांति लाने का वादा किया है. इसमें इजराइल का ईरान, हमास, हिज्बुल्लाह, हुती विद्रोहियों के साथ चल रहा युद्ध शामिल है.

हालांकि, अभी उनकी ओर से बताया नहीं गया है कि इसे कैसे खत्म किया जाएगा. बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान कई बार डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि जो बाइडेन के सत्ता में रहते हुए ईरान ने हमास के लिए इजराइल पर दवाब के कारण हमला किया.

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के शासन के दौरान ईरान परमाणु समझौते को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था. वहीं, ईरान के सबसे शक्तिशाली सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार डाला गया था. इसी दौरान इजराइल के पक्ष में भी कई तरह की नीतियां भी लागू की गई थी.

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इजराइल के सबसे अच्छे दोस्त

भारी विरोध के बाद भी तेल अवीव से हटाकर यरुशलम को इजराइल की राजधानी घोषित करना और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरितस करना शामिल है.

इसके अलावा इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी डोनाल्ड ट्रंप को अब तक का सबसे अच्छा दोस्त बताया है.

डोनाल्ड ट्रंप ने ही इजराइल को अगल-थलग होने से बचाने के लिए कई अरब देशों के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक ऐतिहासिक सौदा कराया था, जिसे अब्राहम अकॉर्ड कहते हैं.

इसमें कहीं भी फिलिस्तीनी देश को मान्यता देने का जिक्र नहीं था, जो पहले इस तरह के क्षेत्रीय सौदे के लिए अरब देशों की बड़ी शर्त थी.

डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि वह गाजा युद्ध समाप्त करना चाहते हैं. वह हमास के कई बड़े लीडर्स पर वह दबाव बनाने में सफल रहे हैं.

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चीन के खिलाफ क्या होगी रणनीति

वहीं, चीन के खिलाफ उनका कड़ा रुख सबके सामने ही है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शासन के दौरान चीन को सबसे बड़ा रणनीतिक प्रतिस्पर्धी करार दिया था.

उनके ही शासन में चीन के खिलाफ चीन से आयात होने वाले कुछ सामानों पर टैरिफ लगा दिया था. इसके बदले में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया था.

उन्होंने चीन को दुनिया के लिए बड़ा खतरा तक बताया है. हालांकि, बाद में व्यापार विवाद को कम करने के लिए कुछ प्रयास किए गए थे.

कुछ दिन बाद कोविड महामारी के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड को चीनी वायरस करार दे दिया. इससे दोनों देशों के बीच के संबंध खराब हो गए.

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रतिभाशाली और खतरनाक दोनों बताया था. ऐसे में वह इस बार चीन के खिलाफ नरम रुख भी अपना सकते हैं.

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